पाक विस्थापित हिन्दू बच्चों की शिक्षा उलझी नियम-कानून में

जयपुर। पाकिस्तान में ज्यादतियों से परेशान होकर भारत में अपना घर बसाने का सपना लेकर राजस्थान में बसने वाले पाक हिन्दू शरणार्थियों को यहां रहने के लिए टुकड़ो-टुकड़ों में अनुमति तो मिल रही है, लेकिन इनके बच्चों की तालीम नियमों में उलझ गई है।

राजस्थान के जोधपुर,जैसलमेर,बाड़मेर जिलों में बसे पाक विस्थापित हिन्दू शरणार्थियों में से तीन हजार को तो अब भी नागरिकता का इंतजार है। अब तक दस हजार को नागरिकता मिल चुकी है। भारतीय नागरिकता नहीं होने से इनके बच्चों को सरकारी और निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए खासी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। खास तौर से नवीं कक्षा और इससे ऊपर के मामलों में तो हाल ही खराब है। हाल में पाकिस्तान से आए परिवार अपने तीन बच्चों को स्कूल में प्रवेश दिलाने के लिए खासी मशक्कत कर रहे हैं। शिक्षा विभाग ने बच्चों के प्रवेश के लिए जिला प्रशासन से मार्गदर्शन मांगा, तो जिला प्रशासन ने राज्य के गृह विभाग को फाइल भेज दी। वहां से अभी तक अनुमति नहीं मिली है। जोधपुर में पाक विस्थापित हिंदुओं की बस्तियों में दर्जनों उदाहरण हैं, लेकिन पहली बार ऐसा मौका आया है कि एक पाक विस्थापित हिंदू ने बच्चों को सही कक्षाओं में प्रवेश के लिए नियमों से लड़ाई शुरू की है। पाक विस्थापितों से जुड़े जनप्रतिनिधियों ने यह मसला केंद्रीय गृह मंत्रालय तक पहुंचाया है। पाकिस्तान से हर वर्ष हिंदू जोधपुर आते हैं और यही रह जाते हैं। पहले छह माह, बाद में एक साल और आगे रुकने की अनुमति मिलती जाती है। हिंदू विस्थापित संस्था के अध्यक्ष चमनलाल कुमावत का कहना है कि पाकिस्तान से आए लोगों के बच्चे सातवीं-आठवीं पढ़े हुए होते हैं, लेकिन उन्हें एडमिशन नहीं मिलता। ऐसे में शपथ पत्र के आधार पर मजबूरी में अभिभावक बच्चों को दो-तीन कक्षा पीछे कर पांचवीं में प्रवेश दिला रहे हैं। भारत में नागरिकता से वंचित पाकिस्तानी हिंदू बच्चों के स्कूलों में एडमिशन के मामले में अभी तक गृह विभाग से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। दुबारा विस्तृत जानकारी भेजी है। निर्देश मिलने के बाद ही इस पर निर्णय होगा।

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