भव्य समारोह में पदभार संभाला वसुंधरा राजे ने

जयपुर। पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे ने शुक्रवार को यहां भाजपा मुख्यालय में प्रदेशाध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया। भारी भीड़ के बीच निवर्तमान प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी ने उन्हें पदभार सौंपा। इस दौरान भाजपा के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचन्द कटारिया, कप्तान सिंह सोंलकी, घनश्याम तिवाड़ी, रामदास अग्रवाल, नाथूसिंह गुर्जर, राजेन्द्र राठौड़ सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं ने वसुंधरा को माला पहनाकर शुभकामानाएं दी।
इस मौके पर श्रीमती राजे ने जो उद्बोधन दिया, वह हूबहू इस प्रकार है:-
सबसे पहले तो मैं आप सब की आभारी हूं, जिनके सहयोग, समर्थन और आशीर्वाद से मुझे ये दायित्व सौंपा गया। मैं आपको विश्वास दिलाना चाहती हूं कि, मैं आपके साथ और मार्ग दर्शन के बिना, अपना एक कदम भी आगे नहीं बढ़ाऊंगी। सब को साथ लेकर चलना ही, मेरी पहली प्राथमिकता होगी।  क्योंकि मैं मानती हूं कार्यकर्ताओं के बगैर, कोई भी संगठन बिन पानी मछली जैसा होता है। बिन प्राण शरीर जैसा होता है। इसलिये आप साथ है तो हर मुश्किल आसान है। भाजपा को हमारे जिन वरिष्ठ नेताओं ने सींचा है। मैं उनके सम्मान में सदैव नतमस्तक रहूंगी। सर्वप्रथम मैं भाजपा के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पण्डित दीनदयाल उपाध्याय और सुन्दर सिंह भण्डारी को मेरा शत्-शत् नमन।  मैं यहां याद करना चाहूंगी जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और उपराष्ट्रपति रहे स्व. भैरोसिंह जी शेखावत को, जिन्होंने राजस्थान को बहुत कुछ दिया। जनसंघ के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री मदन सिंह जी, स्व. श्री गुमानमल जी लोढा, स्व. श्री सतीशचन्द्र जी अग्रवाल, स्व. श्री चिरंजीलाल जी एडवोकेट, स्व. श्री रवि दत्त जी वैद्य और स्व. श्री अजीत सिंह जी इस दुनिया में भले ही न हो उनका मार्गदर्शन आज भी हमारे काम आ रहा है। जनसंघ के ही प्रदेशाध्यक्ष रहे श्री कृष्ण कुमार जी गोयल और श्री भानुकमार जी शास्त्री को भी मैं याद करना चाहती हूं। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे स्व. श्री जगदीश जी माथुर भी अब हमारे बीच नहीं है। मैं उन्हें भी स्मरण करना चाहूंगी।
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष रहे श्री हरीशंकर जी भाभड़ा, श्री भंवर लाल जी शर्मा, श्री ललित किशोर जी चतुर्वेदी, श्री रामदास जी अग्रवाल, श्री रघुवीर सिंह जी कौशल, श्री गुलाबचंद जी कटारिया, श्री महेशचन्द जी शर्मा और श्री ओमप्रकाश जी माथुर को भी मेरा अभिवादन, जिनसे मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। मैं अरूण जी और उनकी पूरी टीम की भी आभारी हूं, जिन्होंने मेरे साथ काम किया। संगठन को मजबूत करने में अरूण जी का भी कम योगदान नहीं है। वे अपना दायित्व भले ही आज मुझे औपचारिक रूप से सौंप रहे हैं, लेकिन मेरे साथ काम उन्हें भी करना है। उनका दायित्व कम नहीं हुआ है, बल्कि और बढ़ा है। मुझे याद आ रहा है 14, नवम्बर 2002 का दिन। यही स्थान था, करीब-करीब यही चेहरे थे, ऐसे ही ऊर्जावान कार्यकर्ताओं की फौज थी, जिनकी पवित्र उपस्थिति में मैंने प्रदेशाध्यक्ष पद ग्रहण किया था। उस दिन यहां बैठे सभी कार्यकर्ताओं ने मुझे आशीर्वाद दिया था, और विश्वास दिलाया था कि मजबूती और पूरे दमखम के साथ वे मेरे साथ खड़े रहेंगे और कंधे से कंधा मिलाकर मेरा साथ देंगे। और मुझे फक्र है सब कार्यकर्ताओं ने जी-जान से एकजुट होकर मेहनत की तो हम दिसम्बर 2003 में ऐतिहासिक बहुमत के साथ सरकार बनाने में सफल हुए।  पता भी नहीं चला और 10 साल का समय पलक झपकते हुए निकल गया। इन 10 सालों में मैंने हमारी सरकार को आते भी देखा, तो जाते भी देखा और अब आते हुए देख रही हूं। ये तीनों अनुभव अलग-अलग किस्म के हैं। इस दौरान चुनौतियों के कई पड़ाव भी देखे, तो कई उतार-चढ़ाव भी देखे, जिनसे बहुत कुछ सीखने को मिला।  लेकिन मुझे गर्व है राजस्थान प्रदेश की जनता, भाजपा के सभी कार्यकर्ता और सभी वरिष्ठ नेताओं पर जिन्होंने मेरा हर समय साथ दिया।
आज फिर वही घड़ी आ गई है। आज भी आप सबके आदेशों की अनुपालना में 14 नवम्बर, 2002 जैसा ही दृश्य यहां दोहराया जा रहा है। उस वक्त भी नेता प्रतिपक्ष गुलाब जी भाई साहब थे, और आज भी। उस वक्त भी कार्यकर्ताओं में जुनून था और आज भी है। बल्कि मैं तो कहूंगी उस समय से कई गुना ज्यादा जोश आज आपमें देखने को मिल रहा है। मुझे पता है आप सब कार्यकर्ता कमर कसकर तैयार खड़े हैं। आप वो कार्यकर्ता है, जो भूखे-प्यासे रहकर भी घर-घर कमल खिलाने में हमेशा जुटे रहते हैं। इसलिये ये तय समझ लो कि जो ऐतिहासिक जीत हमें दिसम्बर 2003 में मिली थी, भाजपा दिसम्बर 2013 में उससे भी बड़ी जीत की कहानी लिखेगी। क्योंकि आपका अनमोल समर्थन, बेशुमार प्यार और सिर पर हाथ और विश्वास मेरे साथ है। इसलिये ठान लो कि कांग्रेस के कुशासन से जनता को मुक्ति दिलाना है। भाजपा का कमल खिलाना है और बदहाल प्रदेश को खुशहाल बनाना है। अति आत्मविश्वास में न रहकर, बुलंद हौसलों के साथ हर चुनौती का मुकाबला करते हुए, फिर से विजय पताका फहराना है। मैं सभी कार्यकर्ताओं, वरिष्ठ नेताओं और प्रदेश की जनता की आभारी हूं, जिन्होंने कल जयपुर आने पर मुझे अपार आशीर्वाद दिया।
अन्त में दो पंक्तियां मैं आपको समर्पित करती हूं:-
हम चले तो आंधियां तूफान खुद ही चल पड़ेंगे,
सागरों की बात क्या, हिम गिरी भी ढ़ल पड़ेंगे।
ये ना समझो ये निशाएं, पथ हमारा रोक लेंगी,
हम चले तो दीप क्या, सूरज हजारो जल पड़ेंगे।
 जय-जय राजस्थान।
जय-जय राजस्थान।
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