दो दिवसीय राजस्थानी लेखिका प्रादेशिक सम्मलेन का समापन

rजयपुर, राजस्थानी भाषा, साहित्य, और संस्कृति अकादमी -बीकानेर और साहित्यक पत्रिका तनिमा उदयपुर के गठजोड़ में गुलाबी नगर जयपुर में जुग चेतना रा नारी स्वर केन्द्रित दो दिवसीय राजस्थानी लेखिका प्रादेशिक सम्मलेन संपन्न हुआ । साहित्य हमारे पुरे जीवन पर सदेव प्रभावी रहा है। हमारे राजस्थान के विद्वान लेखक और विदूषी लेखिकाओ ने अपने महत्वपूर्ण अवदल सेहमारी सभ्यता और संस्कृति के गोरव को आगे बढाया है। आज इस बात की ख़ुशी है की राजस्थानी भाषा को लेखिकाओ ने यहाँ मिल जुल कर अपने बोधिक उपक्रम से इस युग को सुन्दर व उन्नत बनाने की सकारात्मक पहल की है। साथ ही अपनी धारदार लेखनी से समाज की कुरोतियो पर व महिलायों की समस्यों पर वार करने का महत्वपूर्ण कार्य किया है। ”जुग चेतना रा नारी विषयक” इस सम्मेलन में उन्होने महिला जाति के पग पग पर खड़ी बाधा,चुनोतियो व संघर्ष को सोदारण व्यक्त करतें हुए अपने जीवन के कई अनुभव बताये । उक्त विचार यहाँ लालकोठी-किसान भवन सभागार में राजस्थान महिला आयोग की अध्यक्ष डा. लाड कुमारी जैन ने व्यक्त किये । वे यहाँ राजस्थानी भाषा,साहित्य,और संस्कृति अकादमी -बीकानेर और साहित्यक पत्रिका तनिमा उदयपुर के सयुक्त तत्वाधान में आयोजित दो दिवसीय राजस्थानी लेखिका प्रादेशिक सम्मलेन के समापन सत्र में लेखिकाओ को बतोर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थी।
इस अवसर पर विशिष्ठ अथिति राजस्थान संस्कृत अकादमी की अध्यक्ष डा. सुषमा सिंघवी ने कहा की जीवन की सफलता सब कुछ नहीं है , जीवन में आनंद महत्वपूर्ण है, जीने का सही तरीका महिलाये ही बता सकती है। उन्होंने बाल बिवाह पर सस्वर एक गीत गाते हुए कहा की राजस्थानी भाषा एक बेहद समर्थ और अपनेपन से जुडी हुई है। जिसमे मिठास झलकती है, इस में प्रेम री धारा है, अन्न्नाये रा प्रतिकार करती हे व प्रेणना का स्वर फुकती हे उन्होंने कहा की कोई भी स्त्री या पुरुष अर्ध नारीश्वर के स्वरूप से अलग नहीं है,बस उसे पहचानने की जरुरत है। उन्होंने कहा की लेखिकाए अपने साहित्य में चेतना के वे स्वर लाये जिसमे वे बता सके की आगे स्त्रीया अपने लिए क्या चाहती है।
समापन भाषण देते हुए अकादमी के अध्यक्ष श्याम महर्षि ने कहा की नारी विमर्थ में नारी की समस्याओ और बाधाओ की बजाये आधुनिकता व संस्कार की चर्चा हावी है। उन्होंने कहा की स्त्रीया भावुक होती है। अत सम्पति में हिस्सेदारी जैसे अनेक कानून की भावुकता में धरे रहते है व वे अपने हक़ की लड़ाई खो देती है। उन्होंने कहा की गांधीजी सदेव कहते थे जुल्म करने वालो से ज्यादा जुल्म सहने वाला अपराधी है। इस बात पर स्त्रियों को विचार कर अपनी लेखनी से चेतना भरनी होगी ताकि समाज में इस परम्परागत ढाचे को स्त्रियों के पक्ष में किया जा सके।
इस मोके पर विशिष्ठ अथिति राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम के प्रदेश मीडिया सचिव अशोक लोढ़ा ने तनिमा परिवार को बधाई दी और कहा की इस प्रकार के सम्मेलनों से महिलाओ को लेखन की नई प्रेरणा का आभास मिलता है। उन्होंने महिलाओ के कार्यस्थल,विशेष कर स्कूल.अस्पताल इत्यादि पर पुरुषो द्वारा किये जा रहे अत्याचारों पर विस्तार से चर्चा की।
समारोह के आरंभ में इंडियन आडियल के गायन पतिस्पर्दी चरित दिक्षित बांसवाडा द्वारा ”केसरिया बालम” व ”म्हारो रंग रंगीलो राजस्थान” गीतों को समधुर स्वर में गा कर वातावरण को सरस बना दिया। समापन समारोह में प्रतिभागी लेखिकाओ को प्रशस्ति पत्र और स्मर्ति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया। तनिमा की और से आभार व्यक्त करते हुए संपादक और सम्मलेन संयोजक श्रीमती शकुंतला सरूपिया ने कहा की आने वाले वक्त में लेखिकाओ की सुर्जेन शक्ति को बल मिले इस लिए ऐसे आयोजनों की आवश्यकता है। आकादमी के सचिव पृथ्वी राज रत्त्नु ने तनिमा परिवार और लेखिकाओ को वधाई दी।

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