स्वाधीनता सेनानियों को देश हमेशा याद रखेगा–गहलोत

ashok-gahlotजयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि स्वतंत्राता संग्राम में सब कुछ न्यौछावर करने वालों की प्रेरणा के कारण ही आज विभिन्न धर्म, जाति, भाषाओं एवं बोलियों के बावजूद भी हमारा देश एक और अखंड है। गहलोत शुक्रवार को पिंकसिटी प्रेस क्लब में स्वातंत्रय समर स्मृति संस्थान की ओर से आयोजित विकट विप्लवी शहीद महावीर सिंह के 80 वें बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई का नेतृत्व करने वाले नेताओं की प्रेरणा ही आज इस देश को एकता के सूत्रा में पिरोये हुए है। यह उन्हीं की प्रेरणा है कि आज देश लोकतांत्रिक तरीके से चल रहा है। आजादी के बाद भी पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी, राजीव गांधी एवं पंजाब के मुख्यमंत्री रहे बेअंत सिंह ने अपनी जान की बाजी लगा दी लेकिन देश की एकता और अखंडता को आंच नहीं आने दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भी देश को नेतृत्व दे रहे लोगों में यह भावना है कि चाहे जान चली जाये लेकिन मुल्क को एक बनाये रखना है। यह प्रेरणा उन्हीं लोगों की दी हुई है जो आज हमारे बीच नहीं हैं। जो संस्कार आजादी के वे दीवाने इस मुल्क को देकर गये हैं उन्हें देश कभी नहीं भूल सकता और हमेशा याद करता रहेगा।
उन्होंने कहा कि आज सूचना क्रांति का युग है और पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने देश को 21 वीं सदी में एक विकसित राष्ट्र की कतार में खड़ा करने का जो सपना देखा था वह हकीकत में बदल रहा है। उन्होंने कहा कि सूचना क्रांति एवं सोशियल मीडिया के इस दौर का लाभ उठाते हुए नौजवान पीढ़ी को उन शहीदों के त्याग एवं बलिदान के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी दी जा सकती है। आज जरूरत नौजवान पीढ़ी में देश की सेवा करने का जज्बा पैदा करने की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी की रहनुमाई में आजादी की लड़ाई लड़ी गई जिसमें ज्ञात-अज्ञात लोगों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। उन्होंने अहिंसा को अपना हथियार बनाकर आजादी की जंग जीती और दुनिया के देश आज 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाते हैं जो हमारे लिए फक्र की बात है। गहलोत ने कहा कि क्रांतिवीर महावीर सिंह के बलिदान दिवस के माध्यम से देश के लिए शहीद होने वालों को याद किया जा रहा है यह बहुत बड़ा कार्य है। उन्होंने कहा कि स्वातंत्रय समर स्मृति संस्थान के संरक्षक श्री गोपाल शर्मा साधुवाद के पात्रा हैं कि उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने वाले उन महान शहीदों के परिवारों को एक मंच पर इकट्ठा कर उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जिस भावना से इस संस्थान का गठन किया गया है उसे आगे बढ़ाते हुए हमारे स्वाधीनता सेनानियों द्वारा दी गई शहादत को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के प्रयास किये जाएंगे।
उन्होंने कहा कि स्वतंत्राता सेनानियों की जीवनी से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिलती रहे, उनकी यादें जीवित रहें और पर्यटकों को भी उनके बारे में बताया जा सके ऐसी कोई गैलरी बनाने का सुझाव स्वातंत्रय समर स्मृति संस्थान देगा तो इस बात के पूरे प्रयाय किये जाएंगे कि इस दिशा में कैसे आगे बढ़ा जाए।
गहलोत ने कहा कि देश की आजादी के लिए संघर्ष करने वाले स्वतंत्राता सेनानियों को मान-सम्मान एवं उनके आश्रितों के हित में राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। स्वतंत्राता सेनानियों की प­शन 17 हजार से बढ़ाकर 20 हजार रूपये की गई है और उन्हें दी जाने वाली चिकित्सा सहायता राशि भी बढ़ाई गई है।
उन्होंने शहीद महावीर सिंह पर लिखी गई पुस्तक ‘विकट विप्लवी महावीर सिंह’ का भी विमोचन किया। पुस्तक के संपादकों को धन्यवाद देते हुए उन्होंने कहा कि शहीदों के त्याग को सम्मान देने का यह एक अच्छा प्रयास है।
इससे पहले कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं शहीद भगतसिंह के भतीजे प्रो. जगमोहन सिंह ने कहा कि उन्होंने कहा कि आजादी की लड़ाई विचारों की लड़ाई थी। स्वाधीनता संग्राम में 1857 की क्रांति एक मील का पत्थर रही है। इस क्रांति ने भारत के लोगों की एकता का संदेश दिया था क्योंकि राजा और रंक, जम°दार और किसान तथा मजदूर एवं मालिक चाहे किसी भी धर्म और जाति के हों सभी एक होकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े थे।
उन्होंने नौजवान भारत सभा की स्थापना, शहीद भगत सिंह के जेल में बिताये दिनों एवं उनके लिखे पत्रों एवं उनके कुछ मशहूर शेर याद करते हुए कहा कि उनसे हमें शहीद के विचारों और देश के लिए उनके जज्बे के बारे में पता चलता है।
श्री बाल गंगाधर तिलक के प्रपौत्रा श्री शैलेष तिलक ने कहा कि स्वाधीनता की लड़ाई लड़ने वालों के रास्ते भले ही अलग रहे हों लेकिन उनका सिर्फ एक मकसद देश को आजादी दिलाना था। इस मकसद को पूरा करने के लिए उन दीवानों ने अपनी पूरी जिंदगी दांव पर लगा दी। बाल गंगाधर तिलक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तिलक ने सरकारी नौकर पैदा करने वाली शिक्षा की जगह ऐसी शिक्षा पर बल दिया जिससे राष्ट्रप्रेम की भावना जागृत हो। उन्होंने शहीद महावीर सिंह के जीवन के रोचक प्रसंग भी बताए।
स्वातंत्रय समर स्मृति संस्थान के संरक्षक एवं वरिष्ठ पत्रकार गोपाल शर्मा ने कहा कि आज हमारे लिए गौरव का दिन है कि जिन शहीदों ने अपने खून से इस देश का इतिहास लिखा और अंग्रेजों को देश छोड़ने को मजबूर किया उनके परिजन हम सबके बीच मौजूद हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि स्वतंत्राता सेनानियों के जीवन एवं उनके इतिहास के बारे में जानकारी मिल सके ऐसी कोई शुरूआत राजस्थान में की जानी चाहिये।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री व अन्य अतिथियों ने शहीद भगतसिंह के भतीजे प्रो. जगमोहन सिंह, बाल गंगाधर तिलक के प्रपौत्रा शैलेष तिलक, शहीद महावीर सिंह के प्रपौत्रा असीम राठौड़, 1857 की क्रांति में अहम भूमिका निभान वाले तांत्या टोपे के प्रपौत्रा सुभाष टोपे, केसरीसिंह बारहठ की प्रपौत्री राजलक्ष्मी साधना, अर्जुन लाल सेठी के परिवार से आये प्रकाश सेठी, चंद्रशेखर आजाद के परिवार से आए गणेश शंकर मिश्रा, शहीद उधमसिंह के भांजे, शहीद सुखदेव के परिवार से अर्जुन थापर एवं शहीद दुर्गासिंह के परिवार से आए  विजय सिंह का सम्मान किया। करगिल शहीद अमित भारद्वाज के पिता ओ. पी. शर्मा, शहीद हिम्मत सिंह के पिता किशोर सिंह, शहीद अभय पारीक के पिता कल्याण सिंह तथा शहीद अभिमन्यु सिंह के पिता धर्मवीर सिंह का भी सम्मान किया गया। इससे पहले कमल नारायण सिंह ने शहीद महावीर सिंह का जीवन परिचय प्रस्तुत किया। अंत में सत्यवान चौहान ने धन्यवाद ज्ञापित किया एवं शहीदों के कुछ पत्रों का जिक्र करते हुए देश के भविष्य के बारे में उनके विचारों को उजागर किया।
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