तेल-गैस के 7 कुओं की खुदाई करेगी ओएनजीसी

ongcजयपुर। राजस्थान में तेल व गैस के बड़े भंडार मिलने की उम्मीद है। यहीं कारण है कि ओएनजीसी यहां सात कुओं की खुदाई की योजना बना रहा है। ओएनजीसी का अनुमान है कि राजस्थान के बेसिनों में 380 मिलियन टन तेल और गैस हो सकती है।

ओएनजीसी के एक अफसर का कहना है कि ओएनजीसी ने अपनी पहली खोज 1964 में खरतर-एक कुएं से खुदाई के साथ शुरू की थी। 1967 में मानहेरा टिबा की खोज और उत्पादन के बाद ओएनजीसी ने राजस्थान का भारत के हाईड्रोकार्बन उत्पादनशील बेसिन नक्शे में स्थान दिलाया। अब तक ओएनजीसी ने प्रदेश के जैसलमेर बेसिन में सात गैस क्षेत्रों मानहेराटिबा, गोटारू, खरतर, बखरीटिबा, बांकिया, सादेवाला और चिन्नेवाला टिबा की खोज की है।

गौरतलब है कि भारत सरकार ने नीलामी के जरिए ब्लॉक बांटे हैं। ओएनजीसी को राजस्थान में स्थित विंध्यास बेसिन का 2 नेल्प क्षेत्रफल मिला है। इस समय चेचाट-1 कुआं जांच के अधीन है और वीएन-आएनएन-2004/1 तथा वीएन-आएनएन-2004/2 नेल्प क्षेत्रफल ब्लॉकों में सुकेत-1 कुएं की खुदाई चल रही है।

ओएनजीसी को बाड़मेर और जैसलमेर में खुदाई के के लिए लाइसेंस मिला है। ओएनजीसी बाड़मेर ब्लॉक में 112,902,206 बीबीएल तेल का उत्पादन कर चुका है। इस काम में ओनएजीसी की 30 प्रतिशत और केयर्न इंडिया की भागीदारी 70 प्रतिशत है।

ओएनजीसी ने बाड़मेर ब्लॉक में लगभग 62.5 लाख अमरीकी डॉलर खर्च किए है। ओएनजीसी के पासशाहगढ़ उप बेसिन में आरजे-ओएन-6 नेल्प पूर्व ब्लॉक है। इसमें मैसर्स फोकस एनर्जी के साथ भागीदारी है वहीं, बाड़मेर और जालौर में आरजे-ओएन-90/1 ब्लाक में सीईआईएल के साथ भागीदारी है यहां से हाईड्रोकार्बन मिला था। फिलहाल तेल और गैस का उत्पादन जारी है।

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