जोशी ने संभाली सीएम विरोधी टीम की कमान

C P Joshi 450जयपुर [नरेन्द्र शर्मा]। राजस्थान कांग्रेस में अंतरकलह चरम पर पहुंच गई है। राज्य विधानसभा चुनाव से ठीक पहले आला नेताओं के बीच बढ़े मतभेदों से परेशान कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर राज्य प्रभारी राष्ट्रीय महासचिव गुरुदास कामत ने सख्त रवैया अपना लिया है। राजस्थान कांग्रेस पूरी तरह से दो खेमों में बंट गई।

एक खेमा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है तो दूसरे खेमे की अगुवाई कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव डॉ. सी.पी. जोशी, मोहनप्रकाश और केन्द्रीय खेल राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह कर रहे हैं। ये तीनों ही नेता उपाध्यक्ष राहुल गांधी के निकट माने जाते हैं। जोशी और मोहन प्रकाश की अगुवाई वाले खेमे ने राजस्थान में अपने समर्थकों की एक मजबूत टीम तैयार कर ली है।

प्रदेश के सभी दो सौ विस. क्षेत्रों तक कांग्रेस गहलोत समर्थक और विरोधी दो खेमों में बंट गई। गहलोत की कार्यप्रणाली से नाराज जोशी ने राहुल गांधी को साफ कह दिया कि अगर सीएम के व्यवहार में बदलाव नहीं किया गया तो फिर से सरकार बनना मुश्किल होगा।

गहलोत से जोशी इतने नाराज है कि सोमवार को मुख्यमंत्री निवास पर गुरुदास कामत की मौजूदगी में हुई अपने निर्वाचन क्षेत्र भीलवाड़ा की बैठक में शामिल होने नहीं पहुंचे। जबकि वे जयपुर में ही थे और दो घंटे पहले प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में हुई बैठक में मौजूद थे। उन्होंने अपने समर्थकों को साफ कह दिया कि वे मुख्यमंत्री निवास पर होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे।

जोशी के कुछ समर्थकों ने सीएम निवास पर कांग्रेस की बैठक पर आपत्ति जताते हुए कामत से कहा भी कि यह बैठक पार्टी कार्यालय में होनी चाहिए थी। इससे पहले जोशी पार्टी की एक बड़ी बैठक में खुलकर बोले की मुख्यमंत्री की कार्यप्रणाली की वजह से वे बैठक में शामिल नहीं होना चाहते थे, लेकिन गुरुदास कामत के आग्रह के कारण उन्हें आना पड़ा, सीएम को अपना व्यवहार बदलना होगा। मोहन प्रकाश तो जयपुर की बैठक में शामिल हुए ही नहीं।

जोशी की नाराजगी इस बात को लेकर है कि वर्ष 2008 में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव के दौरान वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। उन्हीं की अगुवाई में कांग्रेस चुनाव जीती, जबकि गहलोत तो उस समय सक्रिय ही नहीं थे, लेकिन फिर भी कुछ राष्ट्रीय नेताओं ने लॉबिंग कर गहलोत को सीएम बनवा दिया, इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी मुकुल वासनिक की मह8वपूर्ण भूमिका रही। वासनिक मुख्यमंत्री के काफी निकट माने जाते है।

वासनिक के प्रभारी रहते हुए जोशी प्रदेश की राजनीति से दूर ही रहे, लेकिन अब गुरुदास कामत के प्रभारी बनते ही वे प्रदेश में सक्रिय हो गए। जोशी ने राज्य के सभी दो सौ विस. क्षेत्रों में अपने ऐसे समर्थकों की टीम तैयार कर ली जो विस. चुनाव में टिकट के लिए सशक्त दावेदार होंगे।

जोशी, मोहन प्रकाश और जितेन्द्र सिंह गहलोत विरोधियों की आलाकमान के समक्ष लगातार पैरवी करते रहे हैं। राज्य कांग्रेस में बढ़ी अंतरकलह से चिंतित आलाकमान ने प्रदेश प्रभारी गुरुदास कामत को विवाद का निपटारा करने की जिम्मेदारी सौंपी। कामत ने प्रदेश के नेताओं में चल रही आपसी खींचतान कराने के प्रयास भी शुरू किए और कुछ हद तक वे सफल भी हो रहे है।

पैसा जमा नहीं कराया तो नहीं मिलेगा टिकट

मनमोहन कमेटी के अनुसार पार्टी फंड का बकाया पैसा जमा करवाने के लिए सात दिन का समय है, इसके बाद भी जो मंत्री, विधायक पैसा जमा नहीं कराएंगे उनकी रिपोर्ट सीधे सोनिया गांधी को जाएगी, ऐसे नेताओं के टिकट में दिक्कत आ सकती है। उल्लेखनीय है कि ज्यादातर विधायकों और मंत्रियों ने पार्टी फंड का पैसा पिछले साढ़े चार साल से जमा ही नहीं कराया है। कोषाध्यक्ष ने कई बार पत्र लिखे, लेकिन स्थिति जस की तस रही। http://www.jagran.com

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