शकील साहब गुजरात के साथ मधुबनी का नाम भी लेते तो अच्छा रहता

संजीव पांडेय
संजीव पांडेय

-संजीव पांडेय- कांग्रेस के तीसमार खां नेता अपने ही खेल में फंसते है। एकाएक राष्ट्रीय पटल पर आए शकील अहमद अब दूसरे दिग्विजय सिंह बनने कोशिश में है। सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए आपा खो देते है। ताजा मामला इंडियन मुजाहदीन को लेकर है। इंडियन मुजाहदीन का गठन गुजरात दंगो के बाद हुआ था। यही खुलासा शकील साहब ने टिवटर पर किया था। इसके बाद बवाल मच गया। लेकिन शकील साहब पूरी बात टिवट करने से भाग गए। अगर इसके साथ वो यह भी सच्चाई बताते कि इंडियन मुजाहदीन के 50 प्रतिशत कैडर उनके अपने ही गृह जिले और संसदीय क्षेत्र मधुबनी जहां से वो सांसद भी रहे है से आते है, तो यह टिवट ज्यादा सच्ची होती। लेकिन मधुबनी, दरभंगा का नाम लेने से शकील साहब भाग गए। जबकि उन्हें यह सच्चाई पता होगी कि आईएम उनके ही जिले में सबसे ज्यादा सक्रिय है और सबसे ज्यादा रिक्रूटमेंट इस जिले से ही इस समय है। इसकी तरफ संकेत देश के कई जांच एजेंसियों ने दिए है।
बोधगया के महाबोधी मंदिर ब्लास्ट के कई दिन बीत गए है। जांच एजेंसियों को अबतक कुछ हाथ नहीं लगा है। लेकिन शकील साहब को पता है कि एनआईए और बिहार पुलिस को सच्चाई पता है। धमाके आईएम ने ही बौद मंदिर में किए। चलिए मान ले कि गुजरात दंगों के कारण आईएम का जन्म हुआ। लेकिन आईएम का बौदों से क्या दुश्मनी है। खुफिया एजेंसियों ने हिमाचल प्रदेश सरकार को एलर्ट जारी कर सारे बौद मठों की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए है। इस एलर्ट में साफ कहा गया है कि आईएम हिमाचल में भी धमाके कर सकता है। दलाई लामा हिमाचल में ही रहते है।
कुछ समय पहले तक लोगों की जुबान पर आजमगढ़ होता था। देश के किसी इलाके में धमाके होते थे, आजमगढ़ का नाम तुरंत आता था। उस समय शकील साहब के सहयोगी दिग्गी राजा आजमगढ को लेकर बहुत संवेदनशील थे। बाटला हाउस एनकाउंटर तक पर शक की सुई घुमा दी थी। लेकिन अब आजमगढ़ पीछे हो गया है। शकील साहब का संसदीय क्षेत्र टेरर का रिक्रूटमेंट सेंटर बन गया है। इसके पड़ोसी जिले दरभंगा, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया ने इँडियन मुजाहदीन के मधुबनी मॉडयूल को सपोर्ट करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयब्बा के सरगना अब भारत में आतंक फैलाने के लिए शकील साहब के जिले में बैठकें कर रहे है। लेकिन शकील साहब अपने जिले के युवाओं को समझाने में अबतक नाकामयाब रहे है।
शकील अहमद इस सच्चाई से मुंह छुपा गए कि 2013 की शुरूआत में ही बिहार के मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और मुंगेर में एनआईए, दिल्ली पुलिस, महाराष्ट्र पुलिस और कर्नाटक पुलिस के लगातार छापे पड़े थे।ये छापे इंडियन मुजाहदिन के आतंकियों की तलाश में पड़े थे। ये आतंकी इन्हीं जिलों से संबंधित थे। एनआईए ने बीते 13 जनवरी को दरभंगा के लहरिया सराय से इंडियन मुजाहद्दीन के कमांडर दानिश अली को गिरफ्तार किया था। मुंगेर से चार लोगों को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। लेकिन नितिश कुमार को ये गिरफ्तारियां उस समय नागवार गुजरी थी। उन्होंने इन गिरफ्तारियों का विरोध किया था। क्योंकि इससे उनके अल्पसंख्यक वोटबैंक पर असर पड़ रहा था। जबकि आतंकवाद के मसले पर यूपी में सरकार का अलग रवैया रहा। मायावती के राज में भी उतर प्रदेश पुलिस ने यूपी में इंडियन मुजाहदीन की कमर तोड़ दी। आजमगढ़ से इंडियन मुजाहदीन को लड़के मिलने बंद हो गए। लेकिन बिहार में जानकारी के बावजूद बिहार पुलिस ने आईएम के एक भी सेल को तोड़ने की कोशिश नहीं की।
महाबोधी टेंपल बोधगया में हुए विस्फोट ने सारी देश की आँखे खोल दी है। इस विस्फोट ने जहां बिहार और केंद्र सरकार की नींद उड़ा दी है। अभी तक एनआईए, बिहार पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों चुप्पी साधे है। चुनाव नजदीक होने के कारण इस मामले को पुलिस ज्यादा तुल नहीं देना चाहती है। क्योंकि इसका नुकसान कांग्रेस और नितिश कुमार दोनों को हो सकता है। क्योंकि विस्फोट के पीछे आईएम है। इस विस्फोट ने भारत की स्थिति अंतराष्ट्रीय स्तर पर विकट कर दी है। क्योंकि यह विस्फोट हिंदुओं के किसी मंदिर पर नहीं था। यह विस्फोट एक बौद मंदिर में हुआ। इसके अनुयायी दक्षिण एशिया में भारी संख्या में रहते है। दक्षिण एशिया के ये देश भारत की अर्थव्यवस्था में भी सहयोग करते है। खासकर जापान जैसे देश ने बिहार के विकास में खासा योगदान दिया है। इस विस्फोट के बाद बिहार की अर्थव्यवस्था का चरमराना तय है। क्योंकि बिहार इस समय सिर्फ पर्यटन पर ही टिका है।
कांग्रेस नेता शकील अहमद को सहयोग बिहार के जनता दल यूनाइडेट के नेताओं से मिल रहा है जो इशरत जहां को बिहार की बेटी बता रहे है। जबकि सच्चाई तो यह है कि आईबी के स्पेशल इनपुट के बावजूद धमाके से मंदिर को नहीं बचाया गया। इशरत के आतंकी फिदायिन होने के स्टैंड पर इँटेलिजेंस ब्यूरो आज भी कायम है। लेकिन जद यू के अनवर अली, साबिर अली जैसे दो सांसद प्रेस कांफ्रेंस कर इशरत को बिहार की बेटी बता रहे है। आखिर शकील अहमद, अनवर अली और साबिर अली क्या साबित करना चाहते है। वो भारत के नागरिक है या जेहादियों के प्रवक्ता। अक्तूबर 2012 से ही लगातार बोधगया के महाबोधि मंदिर पर हमले की सूचना आ रही थी।
लश्कर-ए-तैयब्बा का एक मुख्य रिक्रूमेंट सेंटर अब उतर बिहार के पांच जिले है। इसमें शकील साहब का गृह जिला और संसदीय क्षेत्र मधुबनी भी शामिल है। महाबोधी टेंपल पर हमले की योजना मास्टर माइँड लश्कर-ए-तैयब्बा ने रची है। लश्कर के आतंकी नेपाल सीमा से सीधे शकील साहब के जिले में आते है और वहां रिक्रूटमेंट करते है। लश्कर हेड हाफिज सईद ने इसी साल जून महीनें में बर्मा में रोहंगिया मुसलमानों पर हुए हमले की बदले की चेतावनी दी थी। बर्मा के मसले पर अलकायदा और तालिबान भी लश्कर-ए-तैयब्बा के साथ है। शकील अहमद के सरकार के अधीन काम करने वाले दिल्ली पुलिस को खुलासे में इंडियन मुजाहदीन के एक कमांडर ने बताया था कि बोधगया के मंदिर की रेकी उसने की थी और इसके लिए अंतराष्ट्रीय आतंकी गुटों के निर्देश उन्हें आए थे। उतर बिहार में सक्रिय आतंकी युवकों, आईबी की स्पेशफिक सूचना के बावजूद अगर बिहार सरकार नहीं चेती तो इसके क्या कारण थे। आईबी ने यह भी सूचना दी थी कि बिहार के ही विदेश मे रहने वाले दो आतंकी भाई सैफुल और शहीदुर जून के पहले सप्ताह में पटना आए थे। इसके बावजूद बिहार पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
महाबोधी मंदिर पर आतंकी हमला बिहार के लिए खतरे की घंटी है। राज्य के अस्सी प्रतिशत जिले नक्सल प्रभाव में है। इधर अब इँडियन मुजाहदीन की गतिविधियां बिहार में काफी ब़ढी है। इनके तार पेशावर से लेकर लाहौर तक जुड़े है। इससे बिहार का पर्यटन उदोग तबाह होगा। जुलाई में बोधगया के अस्सी प्रतिशत विदेशी पर्यटकों की बुकिंग रद्द हो गई है। अक्तूबर में सीजन की शुरूआत होगी। अगर यही डर रहा तो आने वाले दिनों में पर्यटकों की आवाजाही और कम होगी। वैसे भी बिहार में बिजली की भारी कमी है। इस कारण राज्य औदोगिक निवेश न के बराबर है। सड़कों के हाल फिर बदहाल हो गए है। राज्य के आमदनी का एक मुख्य जरिया पर्यटन है। साउथ एशिया से आने वाले पर्यटकों की संख्या काफी है। जापान सरकार बौध धर्म के नाम पर बिहार में पर्यटन विकास के लिए लगातार पैसे दे रही है। सारे बौद तीर्थ स्थलों को जाने वाली सड़कों को बनाने और रखरखाव में जापान की मदद मिलती रही है। साउथ एशिया के अन्य देश भी राज्य के विकास में मदद करते रहे है। लेकिन इस घटना के बाद राज्य की हालात और खराब होगी। इसके लिए जिम्मेवारी सीधे तौर पर नितिश कुमार और केंद्र की सरकार की बनती है।

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