पैसे हमसे ले लो, जमीन नहीं देंगे

udaipurउदयपुर. छोटा हवाला क्षेत्र में नगर विकास प्रन्यास की ओर से आस्था संस्थान को आवंटित की गई 2.5 हैक्टर भूमि पर चल रहे कार्य के विरोध में ग्रामीण मंगलवार को लामबंद हो गए। उन्होंने काम रुकवा दिया और प्रदर्शन किया। ग्रामीणों और जन प्रतिनिधियों ने कहा कि यूआईटी को पैसा ही चाहिए तो न्यूनतम राशि पंचायत से दिलवा दी जाएगी लेकिन जमीन किसी और को नहीं देने दी जाएगी।
प्रदर्शन के दौरान पूर्व जिला परिषद सदस्य रूपसिंह राजपूत ने कहा कि यह भूमि गांव का श्मशान है, जहां बड़ों का दाह संस्कार होता है और बच्चों को दफनाया जाता रहा है। गांव के लोग मृत मवेशियों को भी यहीं पर डालते हैं। पेराफेरी के तहत इस भूमि को बिलानाम बताया गया था। यहां सामुदायिक भवन, डिस्पेंसरी, श्मशान, बच्चों का खेल मैदान आदि बनवाने के लिए ग्रामीण वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं। कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, एसडीओ सहित यूआईटी के अन्य अधिकारियों को कई बार पत्र दिए गए हैं। लेकिन, प्रशासन ने ग्रामीणों के हितों की अनदेखी करते हुए इस भूमि को किसी संस्थान के नाम कर दिया। उन्होंने बताया कि पूर्व में पटवारी और रेवेन्यू अधिकारी ने सर्वे रिपोर्ट बनाई थी, जिससे ग्रामीणों को राहत मिली थी लेकिन अब भूमि संस्था को भूमि दे दी गई है, जो ग्रामीणों के साथ अन्याय है। उन्होंने प्रशासन से भूमि की एवज में लगने वाली न्यूनतम राशि पंचायत द्वारा जमा कराने की भी पेशकश की।
इधर, आस्था संस्थान की असिस्टेंट इंचार्ज सिस्टर इग्नास ने बताया कि संस्थान को 2.5 हैक्टर (करीब 10 बीघा) जमीन मार्च में आवंटित हुई थी। संस्था को श्मशान या सामुदायिक भवन की जमीन आवंटित ही नहीं हुई है। उन्होंने बताया कि तीन सप्ताह पूर्व काम शुरू किया गया था, जो मंगलवार को ग्रामीणों के विरोध पर रोक दिया गया।
नहीं आए अधिकारी : ग्रामीणों के प्रदर्शन और वार्ता की पेशकश के बाजवूद कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। नाई थाने से पुलिस जरूर मौके पर पहुंची। थाने पर इसकी सूचना किसने दी, इसे लेकर दोनों ही पक्ष अनजान थे। इस मौके पर सरपंच हेमलता मेघवाल भी उपस्थित थीं।
अन्य संस्थाओं को भी दी जमीन : छोटा हवाला क्षेत्र में आसपास की कई पहाड़ियों को विभिन्न संस्थाओं को आवंटित किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि इस क्षेत्र में एक निजी हॉस्पीटल को काफी पहले एक पहाड़ी आवंटित कर दी गई लेकिन आवंटन के दो वर्ष में काम शुरू करने के नियम को ताक पर रखकर संस्था सिर्फ कब्जा लेकर बैठ गई। इसी प्रकार सीसीआरटी, मार्बल कंपनी आदि को भी आसपास जमीनें आवंटित की गई हैं। -सतीश शर्मा
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