प्रो. जहूर खां मेहर को पूनमचन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र पुरस्कार

बीकानेर / राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के अध्यक्ष, श्याम महर्षि ने वर्ष 2013-14 का पूनमचन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र पुरस्कार निर्णायको की संस्तुतियों के आधार पर प्रो. जहूर खां मेहर को घोषित किया। उल्लेखनीय है कि यह पुरस्कार वर्ष 2013-14 से राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर के संस्थापक अध्यक्ष श्री पूनमचन्द विश्नोई की स्मृति में उनके नाम से प्रारम्भ किया गया है। इस पुरस्कार की राशि रु. 1,00,000/- है। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र में राजस्थानी साहित्यकार को उनके गत 20 वर्षो से अधिक समग्र साहित्यिक अवदान हेतु दिया जाता है। पूनमचन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र पुरस्कार प्राप्त करने का गौरव जोधपुर में 20 जनवरी, 1941 को जन्में प्रो. जहूर खां मेहर को उनके राजस्थानी भाषा, इतिहास, संस्कृति के लेखन में सतत् अवदान के लिए मिला है। आप जे.एन.वी. विश्वविद्यालय, जोधपुर के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रहे हैं। आपकी चर्चित पुस्तकें जिनमें 1. राजस्थानी संस्कृति रा चितराम 1981, 2. धर मर्जला धर कोसा 1984, 3. जयमल मेड़तिया, 4. अर्जुन आळी आंख, 5. सांस्कृति ऐतिहासिक राजस्थान, 6. लक्ष्मी कुमार चूड़ावत ग्रन्थावली 1994, 7. आजादी आन्दोलन अर राजस्थान 1997, 8. टाळवा निबंध 1986, 9. ऊजळ पख 1993, 10. चेतावनी रा चूगटिया (राजस्थानी, सम्पादित 2009), 11. अमीना (राजस्थानी, अनुदित 2011) है।
आपकी इन पुस्तकों सहित 24 से अधिक पुस्तकें रचित है। प्रो. जहूर खां मेहर को साहित्यिक अवदान हेतु विभिन्न पुरस्कार एवं सम्मान मिले है। जिनमें 1. महेन्द्र जालोदिया पुरस्कार 1981, 2. सर्वोत्तम लेखन पुरस्कार 1982, 3. बाणभट्ट सम्मान 1992, 4. महाराणा कुम्भा पुरस्कार 1992, 5. आगीवाण सम्मान 1998, 6. विशिष्ट राजस्थानी साहित्यकार सम्मान 2003, 7. मारवाड़ रतन सम्मान 2004, 8. सांस्कृति विरासत रा समवाहक सम्मान 2011 हैं।
पूनम चन्द विश्नोई राजस्थानी समग्र पुरस्कार के निर्णायक मण्डल में डॉ. गोविन्द शंकर शर्मा (जयपुर), डॉ. ज्योतिपूंज (उदयपुर), प्रो. सोनाराम विश्नोई (जोधपुर), डॉ. किशन लाल विश्नोई (बीकानेर), श्री दीनदयाल ओझा (जैसलमेर), डॉ. रामप्रसाद दाधीच (जोधपुर), डॉ. देव कोठारी (उदयपुर), श्री सत्यनारायण इंदौरिया (रतनगढ़), प्रो. अम्बादान रोहड़िया (राजकोट), श्री औंकारश्री (उदयपुर), एवं श्री अम्बिकादत्त (कोटा) थे।
-विक्रमसिंह चौहान
सचिव

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