मां दुर्गा का नौवां स्वरूप सिद्धिदात्री

मां दुर्गा अपने नौवें स्वरूप में सिद्धिदात्रीके नाम से जानी जाती है। आदि शक्ति भगवती का नवम् रूप सिद्धिदात्रीहै, जिनकी चार भुजाएं हैं। उनका आसन कमल है। दाहिने और नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा, बाई ओर से नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है, … Read more

मां दुर्गा का आठवां स्वरूप महागौरी

मां दुर्गा अपने आठवें स्वरूप में महागौरीके नाम से जानी जाती है। ॐनमोभगवती महागौरीवृषारूढेश्रींहीं क्लींहूं फट् स्वाहा। भगवती महागौरीवृषभ के पीठ पर विराजमान हैं, जिनके मस्तक पर चन्द्र का मुकुट है। मणिकान्तिमणि के समान कान्ति वाली अपनी चार भुजाओं में शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण किए हुए हैं, जिनके कानों में रत्नजडितकुण्डल झिलमिलाते हैं, … Read more

मां दुर्गा का सातवां स्वरूप कालरात्रि

मां दुर्गा अपने सातवें स्वरूप में कालरात्रि के नाम से जानी जाती है। एकवेणीजपाकर्णपुरानाना खरास्थिता। लम्बोष्ठीकíणकाकर्णीतैलाभ्यशरीरिणी॥ वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा। वर्धनर्मूध्वजाकृष्णांकालरात्रिभर्यगरी॥ मां दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हे। इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है, सिर के बाल बिखरे हुए हैं। गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला … Read more

मां दुर्गा का छठा स्वरूप कात्यायनी

मां दुर्गा अपने छठे स्वरूप में कात्यायनी के नाम से जानी जाती है। चन्द्रहासोज्वलकराशार्दूलवरवाहना। कात्यायनी शुभ दधादेवी दानवघातिनी॥ भगवती दुर्गा के छठेंरूप का नाम कात्यायनी है। महíष कात्यायन के यहां पुत्री के रूप में उत्पन्न हुई आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को जन्म लेकर शुक्ल सप्तमी, अष्टमी तथा नवमी तक तीन दिन उन्होंने कात्यायन ऋषि की पूजा … Read more

मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कन्दमाता

मां दुर्गा अपने पांचवें स्वरूपमें स्कन्दमाता के नाम से जानी जाती है। सिंहासनगतानित्यंपद्माश्रितकरद्वया। शुभदास्तुसदा देवी स्कन्दमातायशस्विनीम्॥ भगवती दुर्गा के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाताके रूप में जाना जाता है। स्कन्द कुमार अर्थात् काíतकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कन्दमाताकहते हैं। इनका वाहन मयूर है। मंगलवार के दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थितहोता है। … Read more

मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप चन्द्रघंटा

मां दुर्गा अपने तृतीय स्वरूप में चन्द्रघंटाके नाम से जानी जाती हैं। पिण्डजप्रवरारूढाचण्डकोपास्यकैर्युता। प्रसादं तनुते महं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥ भगवती दुर्गा अपनी तीसरे स्वरूप में चन्द्रघंटानाम से जानी जाती हैं। नवरात्र के तीसरे दिन इन्हीं के विग्रह का पूजन किया जाता है। इनका रूप परम शांतिदायकऔर कल्याणकारी है, इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचन्द्र … Read more

मां दुर्गा का द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी

मां दुर्गा अपने द्वितीय स्वरूप में ब्रह्मचारिणी के रूप में जानी जाती हैं। दधानाकरपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलम् देवी प्रसीदतुमयिब्रह्म ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥ भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का दूसरा स्वरूप ब्रह्मचारिणी का है। ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया, वेदस्तत्वंतपो ब्रह्म, वेद, तत्व और ताप [ब्रह्म] अर्थ है ब्रह्मचारिणी … Read more

मां दुर्गा का प्रथम स्वरूप शैलपुत्री

मां दुर्गा अपने प्रथम स्वरूप में शैलपुत्रीके रूप में जानी जाती हैं। पर्वतराजहिमालय के यहां जन्म लेने से भगवती को शैलपुत्रीकहा गया। भगवती का वाहन वृषभ है, उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है। इस स्वरूप का पूजन आज के दिन किया जाएगा। किसी एकांत स्थान पर मृत्तिका से … Read more

आइये जानें नवरात्र का महत्व

नवरात्र का महत्व – नवरात्र संस्कृत शब्द है, नवरात्रि एक हिंदू पर्व है, जिसका अर्थ होता है नौ रातें। यह पर्व साल में दो बार आता है। एक शारदीय नवरात्रि, दूसरा है चैत्रीय नवरात्रि। नवरात्रि के नौ रातों में तीन हिंदू देवियों- पार्वती, लक्ष्मी और सरस्वती के नौ में स्वरूपों पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहते … Read more

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