खूबसूरत चीज का देख कर थुथकारा क्यों करते हैं?

दोस्तो, नमस्कार। आपने देखा होगा कि जब भी हम किसी व्यक्ति अथवा वस्तु को देख कर उसकी तारीफ करते हैं तो सलाह दी जाती है कि थुथकारा कर दो, जमीन पर थूक दो, अन्यथा नजर लग जाएगी। हम यह तथ्य जानते हुए स्वयं भी ऐसा करते हैं। कई बार ऐसा भी पाया होगा कि जब हम किसी बच्चे की खूबसूरती का जिक्र करते हैं तो अंगुली को जीभ से स्पर्ष करके बच्चे के गाल या हाथ पर स्पर्ष करते हैं। इसी प्रकार जब हम मानते हैं कि अमुक आदमी की नजर लगी है तो उसका जूठा पानी पिलाने की सलाह दी जाती है। उसमें भी मूल रूप से थूक की ही भूमिका होती है।
सवाल यह है कि इसके पीछे कौन सा साइंस है? थूक का नजर से क्या संबंध है? ऐसा प्रतीत होता है कि थूक लगाने या जूठा पानी पीने से दो षरीरों की कीमिया समान हो जाती है। तो जिस तारीफ की वजह से नजर लगी है, उसकी सघनता डाइल्यूट हो जाती है। दोनों षरीरों का गुणधर्म एक जैसा हो जाता है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि यूं तो किसी का जूठा खाने या पीने से मना किया जाता है, लेकिन आपको इस मान्यता का भी ख्याल होगा कि हम किसी का जूठा पानी पीते हैं तो उसके गुण हमारे भीतर आ जाते हैं। कई बार आपने देखा होगा कि अमुक व्यक्ति की किसी आदत पर हम कहा करते हैं कि आपने किस जूठा खाया है। जैसे कोई वाचाल है तो कहते हैं न कि इसका अन्न प्राषन्न संस्कार वाचाल मौसी ने किया था। कई समाजों में ऐसी प्रथा है कि नवजात बच्चे को पहला स्वाद किसी बुजुर्ग के जरिये कराया जाता है। वह जौ व गुड चबा कर उसका मामूली सा अंष बच्चे की जीभ पर रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे उसमें बुजुर्ग के गुण प्रवेष कर जाएंगे।
नजर उतारने का एक और तरीका भी अपनाया जाता है। कुछ जानकार सलाह देते हैं कि जब आपको लगे कि किसी व्यक्ति विशेष की नजर लगी है तो आप उससे अपने बच्चे के सिर पर हाथ फिरवा कर भी नजर उतार सकते हैं।

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