नशे का दुष्प्रभाव न पडने का उपाय

दोस्तो, नमस्कार। षास्त्रों का अध्ययन करने वाले एक बुजुर्ग ने एक बार अनूठी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अव्वल तो नषा करना ही नहीं चाहिए। वह नुकसान करता है। लेकिन नषे की आदत हो गई हो और न छूटती न हो तो नषे से होने वाले नुकसान से बचने के लिए एक उपाय करना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन स्नान करने के दौरान आप अगर षिषन पर तीन चार मिनट ठंडे पानी की धार बहाएंगे तो नषे से होने वाले दुश्प्रभाव नश्ट हो जाएंगे। नषे से उत्पन्न गर्मी षीतल हो जाएगी। जाहिर है कि उन्होंने अनुभव व अध्ययन के आधार पर यह जानकारी दी होगी, लेकिन साथ ही उन्होंने एक तर्क भी दिया। उनका कहना था कि भगवान षिव भांग-धतूरे का सेवन करते थे, इसके अतिरिक्त एक बार उन्होंने गरल अर्थात विश का सेवन कर लिया था, जिसे उन्होंने कंठ पर रोक लिया था, कंठ नीला पड गया, जिसकी वजह से उनका नाम नील कंठ कहा जाने लगा। और नषे व विश का दुश्प्रभाव रोकने यानि निश्प्रभावी करने के लिए षिव लिंग पर निरंतर जलधारा बहाने की परंपरा है। उनकी यह बात कितनी सही है, पता नहीं, मगर अर्थपूर्ण तो लगती है। वैसे भी यह एक सामान्य कौतुहल तो है ही कि आखिर क्यों लिंग के आकार के पत्थर पर निरंतर पानी की धारा बहाई जाती है। इस मामले में एक सोच यह भी बताई जाती है कि शिव को संहारकर्ता माना जाता है और जलधारा से उनका क्रोध शांत होता है। यह भक्तों की आस्था है कि इससे शिव जी प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

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