इसलिए जरूरी है लेडीज फर्स्ट

नीलम मिश्रा
नीलम मिश्रा

हाल ही एक सज्जन ने मुझसे सवाल किया कि एक ओर महिला पुरुषों से बराबरी की बात करती है, दूसरी ओर लेडीज फर्स्ट का फायदा भी लेना चाहती है, ऐसा क्यों? बात में दम तो नजर आता है, मगर इसकी सच्चाई जानने के लिए थोड़ा सा गहराई से विचार करना होगा।
इसमें कोई दोराय नहीं कि बदलते समाज में महिला को अपेक्षाकृत अधिक आजादी मिली है। उसने इसका बखूबी लाभ उठाया है। यद्यपि इस दिशा में काम काम होना बाकी है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों की महिला आज भी पिछड़ी हुई है, मगर शहरों व कस्बों में महिलाओं ने खुद को मिली आजादी का सकारात्मक लाभ उठाया है। अब वह ऐसे सब काम करने लगी है, जो कि केवल पुरुषों के ही योग्य माने जाते रहे हैं। अब महिला पुलिस जैसी नौकरी भी बखूबी निभा रही है। ऐसे बहुत उदाहरण मिल जाएंगे कि महिलाएं कंडक्टर, पटवारी, सेल्समैन, मार्केटिंग के काम बड़ी आसानी से कर रही है। यह उदाहरण तो अब आम हो गया है कि फलां युवती ने अपने पिता को मुखाग्नि दी, जो कि अब तक केवल बड़े पुत्र का ही अधिकार माना जाता था। यानि कि कहा जा सकता है कि अब महिलाएं पुरुषों की बराबरी करने की दिशा में आगे बढ़ी है।
इन सब के बाद भी आज हम स्थितियों के प्रति संतुष्ट नहीं हैं। गांव हो या शहर महिला को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। आम महिलाओं को उसकी इच्छा के अनुसार काम करने की आजादी नहीं दी जाती। न वह अपनी इच्छा से वर चुन सकती है और न ही अकेले रहने की उसे आजादी है। समाज सवाल उठाता है कि महिला अकेले कैसे रहेगी? यही पुरुष करता है तो उस पर कोई ऐतराज नहीं करता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या महिला इतनी निर्बल है, जो उसे सहारे की जरूरत है। हमेशा किसी अकेली रहने वाली महिला के चरित्र पर समाज ऊंगली उठाता है, पर क्या कभी किसी पुरुष से समाज ने कभी कोई सवाल किया है? अपने अधिकारों के लिये महिला आज भी कैद ही है। महिला जीवन में दोहरी जिम्मेदारी निभाती है, घर की और बाहर की, दोनो ही। ऐसे में यदि उसे लेडीज फर्स्ट का फायदा न हो तो वह पुरुषों की कतार में खड़ी अपनी बारी का इन्तजार ही करती रह जायेगी और पुरुष वर्ग कभी उसे आगे नहीं आने देगा। ऐसे में अगर वह लेडीज फस्र्ट का फायदा उठाना चाहती है तो समझो कि अब भी वह अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। आज भी उसके सक्षम होने पर सवाल लगा हुआ है। अत: यह उचित ही है कि उसे प्राथमिकता का अधिकार दिया जाए। बेशक महिलाओं ने मौका मिलने पर पुरुष की बराबरी कर के दिखाई है, मगर यह परिवर्तन कुछ प्रतिशत ही है, अधिसंख्य महिलाएं अब भी पुरुषों के अधीन हैं, अत: उसे लेडीज फर्स्ट का अधिकार मिलना ही चाहिए।
-नीलम मिश्रा

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