प्रवास पर नहीं गए लोग, फिर भी कर दिए प्रवासी पंजीयन

लखन सालवी

गोगुन्दा/उदयपुर – उपखण्ड क्षेत्र के आदिवासी समुदाय व अन्य समुदायों के युवाओं ने आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट के पदाधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की मांग को लेकर जिला कलेक्टर के नाम पर तहसीलदार संदीप अरोड़ा को ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में बताया गया कि आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट के कर्मचारियों द्वारा गोगुन्दा उपखण्ड क्षेत्र के लोगों को फर्जी तरीके से प्रवासी के रूप में पंजीकृत कर उनके प्रवासी परिचय पत्र जारी किए जा रहे है वहीं ट्रस्ट द्वारा प्रवास का आंकड़ा बढ़ाकर चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार एनजीओ वाले फण्ड लाने के लिए आंकड़ों का फर्जी खेल खेलते है। फंडिंग एजेन्सियों के सामने प्रवास का अधिक आंकड़ा प्रस्तुत कर प्रवास के मुद्दे पर कार्य करने के लिए बड़ी राशि प्राप्त की जाती है। फिर उस राशि को अपनी और कर्मचारियों तन्ख्वाह और विभिन्न गतिविधियों पर खर्च की जाती है।

फर्जी प्रवासी पंजीयन में आदिवासी समुदाय की संख्या अधिक

ज्ञापन में शिकायत की गई है कि दियाण ग्राम पंचायत क्षेत्र के निकोर निवासी सलूरी बाई पति चेना गमेती, पन्ना पिता डालूराम गमेती, पेपली बाई पति वरदाराम गमेती, नाथूराम पिता जीवाराम गमेती सहित 50 से अधिक महिला-पुरूषों के फर्जी प्रवासी पंजीयन करके परिचय पत्र जारी किए गए है। वहीं रावलिया खुर्द की दाखुड़ी बाई पति शंकर लाल गमेती, कुंभावातों का गुड़ा निवासी भोलाराम पिता नन्दराम गमेती,, गणेश लाल पिता गंगाराम गमेती सहित डिंगारी व चुंडावतों का गुड़ा के दो दर्जन से अधिक लोगों के फर्जी प्रवासी पंजीयन कर परिचय पत्र जारी किए गए है।

प्रवासी पंजीयन के लिए 25 रूपए का शुल्क भी लिया जाता है। वहीं प्रवासी पंजीयन के लिए करने व परिचय पत्र जारी करने के लिए आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट ने राजस्थान सरकार के श्रम एवं रोजगार विभाग से मान्यता भी ले रखी है। बताया गया कि एनजीओ का नाम आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट है, जबकि कार्ड पर आजीविका ब्यूरो और नीचे बड़े लाल अक्षरों में श्रम एवं रोजगार विभाग लिखा है ताकि लोग इसे सरकारी दस्तावेज समझे।

कैसे बनता है प्रवासी परिचय पत्र

एनजीओ के कार्यक्रम प्रबंधक राजेन्द्र शर्मा का कहना है कि प्रवासी पंजीयन दो तरीके से बनाए जाते है –
पहला तरीका – संस्था के कार्यकर्ता गांव-गांव जाकर इस सेवा का प्रचार करते है और उस दौरान कोई प्रवासी अपना पंजीयन कराना चाहता है तो वो प्रवासी पंजीयन के लिए आवेदन करता है। इस आवेदन पत्र में आवेदनकर्ता को अपने निवास, कार्य, कार्यस्थल आदि का विवरण देना होता है। उसके बाद संबंधित ग्राम पंचायत का सरपंच उस आवेदन को प्रमाणित करता है। आवेदन पत्र को सरपंच के पास ले जाकर आवेदक ही प्रमाणित करवाता कर लाता है। संस्था द्वारा उस आवेदन पत्र की जांच करके उसको सॉफ्टवेयर में फीड किया जाता है जिससे ही परिचय पत्र जनरेट होता है। उसके बाद संस्था के कार्यकर्ता उस परिचय पत्र को आवेदक तक पहुंचाते है। इस परिचय पत्र के लिए आवेदन के साथ ही 25 रूपए का शुल्क लिया जाता है।

दूसरा तरीका – आवेदक स्वयं एनजीओ द्वारा संचालित श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर आते है और आवेदन करते है। आवेदन पत्र को पूरा भर लेने के बाद तथा फीस ले लेने के बाद आवेदन पत्र पुनः आवेदक को दे दिया जाता है, जिसे वो सरपंच से प्रमाणित करवाकर पुनः केंद्र पर जमा करवा देता है और परिचय पत्र जारी हो जाने के बाद केंद्र पर आकर ले जा सकता है।

कई लोगों को फर्जी तरीके से प्रवासी बताया गया है और उनके प्रवासी परिचय पत्र जारी किए गए है। इस बारे में कार्यक्रम प्रबंधक का कहना है कि हम सरपंच द्वारा प्रमाणित किए जाने के बाद ही परिचय पत्र बनाते है।

मतलब सारा भार सरपंच के माथे डाल दिया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह भी है कि संस्था के कार्यकर्ता आवेदन तैयार करने के बाद जब बहुत सारे आवेदन एकत्र हो जाते है तब संबंधित ग्राम पंचायत के सरपंच के पास जाकर उससे हस्ताक्षर करवा लेते है और सरपंच संस्था के कथित सामाजिक कार्यकर्ताओं पर विश्वास करके हस्ताक्षर कर देता है।

अब यहां चार केस स्टड़ी पेश की जा रही है, जिन्हें पढ़कर आप इस एनजीओ की करतूत को समझ सकेंगे –

केस-1
बकरियां चराने वाले का कर दिया प्रवासी पंजीयन, बता दिया सूरत में रसोई मजदूर
रावलिया कलां के चुण्ड़ावतों का गुड़ा निवासी नानालाल पिता भैरा लाल गायरी विगत 10 वर्षों से गांव में ही रह रहा है। वह भेड़-बकरियां चराने के अलावा आस-पास के गांवों में उत्सवों के दौरान रसोई बनाने का कार्य करता है। उसने बताया कि वह विगत 10 वर्षों में वह प्रवास पर नहीं गया। जबकि आजीविका ब्यूरो द्वारा जारी प्रवासी परिचय पत्र में नाना लाल को सूरत में प्रवासी (प्रवासी पंजीयन संख्या – आरजेयूडीजीजी 20644) होना दर्शा कर उसके द्वारा रसोई कार्य करना बताया गया है। उधर नाना लाल ने बताया कि एक बार गांव में संस्था के लोग आए थे उन्होंने ही फॉर्म भरा था। कहा था कि मजदूरी का पैसा नहीं दिया जाता है तो मजदूरी का भुगतान करवाने में यह परिचय पत्र काम आता है।

केस-2
भेड़ बकरी पालक को निर्माण मजदूर बताकर किया प्रवासी पंजीयन
रावलिया कलां के ही चुण्ड़ावतों का गुड़ा निवासी अमरा पिता धन्ना लाल गायरी भेड़ व बकरी पालन के साथ कृषि कार्य करता है। बरसों से गांव के आस-पास ही भेड़ बकरियां चरा रहा है। लेकिन आजीविका ब्यूरो के प्रवासी पंजीयन रिकार्ड के अनुसार यह निर्माण मजदूर है और नाथद्वारा में मजदूरी कार्य करता है (प्रवासी पंजीयन संख्या – आरजेयूडीजीजी 20629)। वहीं अमराराम गायरी ने बताया कि उसने कभी नाथद्वारा में मजदूरी कार्य नहीं किया।

केस-3
दाखुड़ी बाई ने कभी नहीं किया उदयपुर में काम, पर बना दिया प्रवासी कार्ड
गोगुन्दा थाना क्षेत्र के रावलिया खुर्द गांव की दाखुड़ी पति शंकर लाल गमेती कभी प्रवास पर नहीं गई, जबकि 27 जुलाई 2012 को इस महिला का फर्जी परिचय पत्र जारी कर दिया गया। प्रवासी पंजीयन संख्या आरजेयूडीजीजी 14446 है। उसने बताया कि वो उदयपुर में काम करने कभी नहीं गई। संस्था वाले आए थे उन्होंने ही फीस लेकर कार्ड बनाया।

केस-4
अणछी को पाली की प्रवासी बताकर किया प्रवासी पंजीयन
सायरा थाना क्षेत्र के निकोर गांव के वाळा फलां की अणछी बाई पति कानाराम गमेती का भी प्रवासी पंजीयन परिचय पत्र जारी किया हुआ। परिचय पत्र में लिखा है कि वो पाली में बैलदारी का कार्य करती है, जबकि अणछी बाई कभी पाली नहीं गई। उसके पति कानाराम ने बताया कि उसकी लम्बे समय से बीमार रहती है तथा पाली में मजदूरी करने जाना तो दूर की बात वो गांव में महानरेगा में भी काम नहीं कर पाती है।

फर्जी तरीके से किए जा रहे प्रवासी पंजीयन की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र के कई लोग आक्रोशित है। युवाओं ने आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट के पदाधिकारियों व कर्मचारियों तथा सरपंचों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही करने की मांग की है। ज्ञापन में बताया गया कि लोगों के पास परिचय पत्र के लिए सरकार द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र व आधार कार्ड जैसे दस्तावेज है। उसके बावजूद भी लोगों को योजनाओं आदि का लाभ दिलवाने जैसे कई प्रलोभन देकर प्रवासी पंजीयन परिचय पत्र बनवाने की बात कहकर फर्जी पंजीयन किए जा रहे है। उन्होंने एनजीओ द्वारा अब तक किए गए प्रवासी पंजीयन की जांच करने व एनजीओ को ब्लैकलिस्ट कर गोगुन्दा क्षेत्र में कार्य नहीं करने देने की मांग की है।

वहीं तहसीलदार संदीप अरोड़ा ने बताया कि ज्ञापन को जिला कलेक्टर को भेजा गया है साथ ही धोखाधड़ी से संबंधीत होने के कारण गोगुन्दा, सायरा सहित उपखण्ड क्षेत्र के थानों में प्रति भिजवाई गई है।

आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट के खिलाफ लगे आरोपों के संदर्भ में गोगुन्दा क्षेत्र के कार्यक्रम प्रबंधक राजेन्द्र शर्मा से बातचीत  : –

Q. – गोगुन्दा क्षेत्र में अब तक कुल कितने प्रवासी श्रमिकों के पंजीयन किए गए है ?
A. – गोगुन्दा उपखण्ड क्षेत्र सहित आस-पास के गांवों के 18 हजार 800 श्रमिकों का पंजीयन अब तक किए गया है।

Q. – आजीविका ब्यूरो ट्रस्ट द्वारा प्रवासी श्रमिकों का पंजीयन क्यों किया जाता है ?
A. – वैसे अब प्रवासी पंजीयन की जरूरत नहीं है, अब सरकार ने हर नागरिक के कई प्रकार पहचान के दस्तावेज बना दिए है। पर एक समय प्रवास पर जाने वाले कई लोगों के पास पहचान का कोई दस्तावेज नहीं होता था, इसलिए उनकी जरूरत को समझकर आजीविका ब्यूरो ने प्रवासी पंजीयन कर परिचय पत्र जारी करना आरम्भ किया। अब हमने प्रवासी पंजीयन करना कम कर दिया है, जो लोग प्रवास पर जाकर काम करते है अगर वो हमारे श्रमिक सहायता एवं संदर्भ केंद्र पर आकर आवेदन करते है तो हम पंजीयन करते है।

Q. – प्रवास के आंकड़ों का कहां-कहां उपयोग किया जाता है ?
A. – प्रवास के आंकड़ों को आजीविका ब्यूरो समय-समय पर सरकार के साथ साझा करती है और आंकड़ों के साथ प्रवासियों के मुद्दों की एडवोकेसी की जाती है।

Q. – प्रवासी पंजीयन करने, सरकार के साथ एडवोकेसी करने जैसे कार्यो के लिए धन राशि कहां से आती है ?
A. – मुझे चैक करना पड़ेगा। अधिक जानकारी नहीं है लेकिन हां कई फण्डिंग एंजेसी है, जो इस पूरे कार्यक्रम के लिए फण्ड उपलब्ध करवाती है, संस्था के साथी भी फण्ड एकत्र करते है।

Q. – प्रतिवर्ष प्रवासी पंजीयन करने का लक्ष्य निर्धारित किया जाता है ?
A. – हां पहले किया जाता था, लेकिन अब नहीं किया जाता है। जो वास्तविक प्रवासी है वो केंद्र पर आकर पंजीयन के लिए आवेदन कर सकता है।

Q. – प्रवासी पंजीयन कौन, कब और कैसे करवा सकता है ?
A.-  रोजगार के लिए ब्लॉक से बाहर जाकर वहीं पर रहकर कार्य करने वाले तथा रोजाना एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाकर काम करने वाले लोग प्रवासी की श्रेणी में आते है, वो प्रवासी परिचय पत्र के लिए आवेदन कर सकते है। आवेदन पत्र में व्यक्तिगत विवरण के साथ गांव और प्रवास स्थल का विवरण लिखा जाता है जिसे ग्राम पंचायत का सरपंच प्रमाणित करता है। फिर हम उस आवेदन पत्र की जांच कर प्रवासी पंजीयन कर परिचय पत्र जारी करते है।

Q. – आवेदन को सरपंच से प्रमाणित कौन करवाता है ?
A. – आवेदन को आवेदक ही सरपंच से प्रमाणित करवाकर लाता है। पर अभियान के दौरान कई बार संस्था के कार्यकर्ता भी प्रमाणित करवाकर लाते है।

Q. – आरोप है कि फर्जी पंजीयन किए जा रहे, जो लोग प्रवासी पर नहीं जाते है उनके भी परिचय पत्र बना दिए गए है ?
A. – मेरी जानकारी में नहीं है। ऐसा है तो हम जांच करके कार्यवाही करेंगे। वैसे प्रत्येक आवेदन को सरपंच द्वारा प्रमाणित कर दिए जाने के बाद पंजीयन किया जाता है। इसलिए फर्जी पंजीयन कहना तो सही है।

Q. – प्रवास का आंकड़ा बढ़ाने कर दिखाने के लिए फर्जी पंजीयन किए जा रहे है ?
A. – ऐसा बिल्कुल नहीं है, हम समुदाय के लिए कार्य कर रहे है। फिर भी ऐसा हो रहा है तो जांच करवायेंगे, हमारे कार्यकर्ताओं की गलती होगी तो उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी और अगर सरपंचों ने गलत प्रमाणिकरण किया है तो उनके खिलाफ कार्यवाही करने के लिए सरकार को लिखा जाएगा।

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