चंद लाइन में चश्मदीद की जुबानी उस काली रात की कहानी

16 दिसंबर की काली रात की कहानी एक निजी चैनल पर गैंगरेप पीड़ित के दोस्त ने बताई है। चलिए हम सिलसिलेवार आपको उनकी पूरी कहानी उनके दोस्त की जुबानी बताते हैं।

– दुष्कर्मियों ने पहले ही पूरी योजना बना ली थी

– गैंगरेप के बाद दरिंदों ने हमें बस से बाहर फेंक दिया।

– बस से फेंकने के बाद उन्होंने हमें कुचलने की भी कोशिश की

– 45 मिनट तक सीमा विवाद में उलझी रही पुलिस

– सड़क किनारे हम लोग नग्न थे। मदद गुहार लगा रहे थे। लोगों ने अपनी कार, ऑटो और बाइक धीमी जरूर की, लेकिन बिना मदद किए ही आगे बढ़ गए।

– अस्पताल में जाते वक्त तक हमें किसी ने कंबल तक नहीं दी। यदि उसका शुरू में ही उचित इलाज हुआ होता तो वह आज जिंदा होती।

– मदद करने आई एक महिला अधिकारी बार-बार कह रही थी कि मुझे घर जल्दी जाना है। घर पर चावल दाल नहीं है। बच्चों से नहीं मिल पा रही।

– पुलिस वाले चाहते हैं कि मैं मीडिया के सामने उनका गुणगान करूं।

– हादसे के बाद भी उनकी दोस्त का जीवन के प्रति रवैया सकारात्मक था और वह जीना चाहती थीं

– मजिस्ट्रेट के सामने पीड़िता ने अपने बयान में कहा था कि आरोपियों को फांसी मत देना बल्कि उन सभी को जिंदा जला देना।

– एसडीएम बयान लेने आई तो उसने पूरा घटनाक्रम उन्हें बताया। जो उसके साथ हुआ उसे सुनकर मैं तो सदमे में आ गया कि क्या कोई ऐसा भी कर सकता है। जब कोई शिकार करता है तो वह भी ऐसा नहीं करता। पहले वह गला दबाकर सांस बंद कर देता है। बाद में सब कुछ करता है, लेकिन यहां तो जिंदा होते हुए ही शरीर के अंग-भंग किए गए।

– लोगों को सलाह देते हुए पीड़िता के दोस्त ने कहा कि हमें केवल मोमबत्ती लेकर न्याय की मांग नहीं करनी चाहिए, बल्कि जरूरत के समय मदद के लिए आगे आना चाहिए।

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