लो शुरू हुआ चुनावी संग्राम

rajasthani assembly elections 2013 results-पुरूषोत्तम कुमार जोशी- टोंक / एक इंतजार ऐसा जो अब सभी राजनीति प्रेमियों का पूरा हो चुका है बस रहा तो एक रोमांच जो खत्म होगा एक और सरकारी घोषणा के बाद और बदल जाएगी सत्ता की सियासत़
राजस्थान में राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों की घोषणा होने के साथ ही और नामांकन दाखिक के बाद होने वाली नाम वापसी तक की सभी प्रक्रियाओं के बाद अब सिर्फ प्रदेश की राजनीति में पार्टियों के प्रत्याशी चुनावी गणित बिठाने की जोड़ तोड़ में लग गए है साथ ही विुधानसभा सीटों पर खड़े बागियांें के चुनावी हठ से पार्टियों के राजनीतिक समीकरण बिगड़ने लगे है । बात फिर चाहे भाजपा की चाहे कांग्रेस के बागी हुए नेताओं की हो सब के सब किरोड़ी की राजपा से चुनाव लड़ने को तैयार है और जिस पार्टी को सालों से सींचते आ रहे उसी पार्टी के प्रतिनिधि को हराने के लिए चुनावी मैदान में पूरी मजबूती के साथ टककर देते दिख रहे है हम बताते है आपकों ऐसा ही हाल प्रदेश की नवाबी नगरी टोंक का जहां सभी सीटों पर उम्मीदवारों को बागी नेता कांटे की टक्कर देते साफ दिख रहे जहां पार्टियां जीत-हार को लेकर असमंजस में बनी हुई है देखिए टोंक की चार विधानसभा सीटों पर खड़े उम्मीदवारों को कौन कहां से किसकी जीत को हार में बदलने का तगड़ा माद्दा रखता है

1-टोंक विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की उम्मीदवार और विधायक जकिया के सामने जिले की यूथ कांग्रेस कों सालों सिंचते आ रहे सउद सईदी इस बार कांग्रेस के बागी नेता के रुप में निर्दलीय उम्मीदवार के चुनावी मैदान में पूरी तरह डटे है जो कांग्रेस की सुरक्षित सीट को हड़पने की भरपूर ताकत रखते है वहीं भाजपा के नए चेहरे अजीत मेहता को पूर्व विधायक और भाजपा के जिले में वरिष्ठ नेता माने जाने वाले महावीर जैन की नाराजगी के चलते जीत आसान नहीं दिख रही कुछ मिलाकर बात करें तो मामला त्रिकोणीय होने के साथ रौंचक होने की पूरी सम्भावना है।र्

2-अब बात करते है निवाई सीट की जहां पूर्व मंत्री के पुत्र को वरियता देते हुए विधायक कमल बैरवा के मजबूत दावों पर कांग्रेस आलाकमान ने पानी फेर दिया और नए चेहरे के रुप में प्रशांत बैरवा को निवाई सीट से चुनावी मैदान में उतार दिया इस सीट पर भी जहां एक ओर विधायक की नाराजगी का कांग्रेस को नुकसान होने की सम्भावना है वहीं भाजपा को हीरा लाल रैगर के अनुभव का लाभ यहां मिलने की सम्भावना है लेकिन महावीर जैन का गृह नगर होने से उनकी नाराजगी का असर यहां भी पड़ने का आसार तो यहां भी मुकाबला कांटे का होने से चुनावी रौमांच अंत तक बने रहने की पूरी सम्भावना है यहां रौमांच करने वाली सबसे बड़ी चुनौती प्रशांत बैरवा वाली होगी जिनके लिए पहली जीत के लिए अपने पिता की साख बताने का दबाव है

3-दोस्तों यह है मालपुरा सीट जहां भाजपा और कांग्रेस दोनों का नाक का सवाल है दोनों प्रत्याशी एक ओर कांग्रेस ने पीसीसी चंद्रभान की सीट बदल जिलाध्यक्ष रामविलास चौधरी पर दांव खेला वहीं भाजपा ने भी निर्दलीय जीत कर अंतिम दिनों में शामिल हुए रणवीर पहलवान का टिकट काट कर नए प्रत्याशी को मैदान में उतारा है साथ कांग्रेस के पूर्व विधायक और वरिष्ठ कांग्रेस सुरेंद्र व्यास ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी हुंकार भरी है पिछले चुनावों में मामूली अंतरों से हारने वाले व्यास इस बार जीत को लेकर मजबूत दावा ठोक रहे तो यहां तीनों उम्मीदवारों में वर्चस्व को लेकर छिड़ी देखने को मिलेगी जिसका एक अलग ही रौमांच होगा अब देखने वाली बात यह होगी कि कौन अपना दावा साबित कर पाता है और कौन अपनी साख बचा पाता है ।

3-अब यह है सबसे संवेदनशील माने जाने वाली सीट देवली-उनियारा जहां सिर्फ चेहरे और पार्टी को लेकर जंग सा माहौल बना रहता है साथ ही जुड़ जाता समाज का मुद्दा गुर्जर आरक्षण की मांग को लेकर छिड़ी जंग के बाद से ही पिछले चुनावों में देखने को मिला और कांग्रेस ने रामनारायण मीणा को तो भाजपा ने नाथू सिंह गुर्जर को यहां से चुनाव लड़वाया और इस चुनाव में पहली बार देखने को मिला दोनों ही उम्मीदवार बाहरी क्षेत्र के थे और इस बार भाजपा ने खेला चुनावी दांव तो नए चेहरे के साथ मैदान में उतारा स्थानीय उम्मीदवार राजेंद्र गुर्जर लेकिन भाजपा का अपना ही दांव उल्टा पड़ गया और राजेंद्र गुर्जर पर्चा दाखिल करने के साथ आ गए विवादों के घेरे में । क्षेत्र के मेहंदवास थाने में दर्ज एक हत्या के मामले में शामिल होने की शिकायत जैसे ही निर्वाचन अधिकारी के पास पहुंची और मीडिया के फेली,मामला गर्मा गया और लोगों में जबरदस्त तरीके से चर्चा का विषय बन गया उधर कांग्रेस ने पहले ही विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा की घोषणा कर चुकी थी जो पूरंे कार्यकाल में दूसरे जिले के होने के बाद भी क्षेत्र के लोगों के बीच रहे और क्षेत्रवासियों की हर मांग को सरकार से पूरी करवाने को प्रयासरत रहे ।

पुरूषोत्तम कुमार जोशी
पुरूषोत्तम कुमार जोशी

हालांकि कांग्रेस और भाजपा के लिए परेशानियां यहां भी कम नहीं है पूर्व प्रधान रही सोनल गोलेच्छा ने निर्दलीय और पति ने राजपा से टिकट लेकर नामांकन दाखिल कर दिया जिनकी क्षेत्र का होने से लोगों में अच्छी पकड़ मानी जाती अब बस देखने वाली बात यह होगी की जिले में कांग्रेस फिर लौटेगी या फिर भाजपा नए चेहरों के बूते जिले में बढ़त हासिल कर सत्ता में लौट पाएगी ।

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