मतदाताओं का ब्रह्मास्त्र आज

rajasthani assembly elections 2013 results-राजेन्द्र राज- पांच साल में एक दिन का राजा कहे जाने वाला मतदाता रविवार को अपने ब्रह्मास्त्र को उपयोग करेगा। पिछले एक पखवाड़े में मतदाताओं ने राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों को देखा और सुना। वहीं, प्रत्याशियों और उनके समर्थकों का कार्य व्यवहार देखा और उस पर मनन किया। लोकतंत्र के इस महोत्सव में चुनाव मैदान में उतरे राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी। वहीं दलों के नुमाइंदों ने अपनी जीत पक्की करने के लिए जाति – बिरादरी को सबसे अधिक महत्व दिया।
लोक सभा में 25 सीटों का योगदान देने वाले इस विधानसभा चुनाव को पांच माह बाद होने वाले लोकसभा चुनाव के नजरिए से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस कारण देश के प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस और भाजपा ने चुनाव में अपनी पूरी ताकत लगा रखी थी। चुनाव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कहीं अधिक भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे का राजनीतिक भविष्य दांव पर अधिक लगा नजर आया। यूं चुनाव में मतदाताओं की दिलचस्पी कांग्रेस के भावी नेता राहुल गांधी के मुकाबले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी की सभाओं और भाषणों में ज्यादा रही।
राज्य के चुनावी दंगल में चार राजनीतिक दल अपनी सेना के साथ उतरे हैं। चुनावी सभाएं, रैली, रोड शो, जन सम्पर्क जैसे चुनावी अस्त्र – शस्त्रों से राजनेताओं ने अपने दल के लिए समर्थन जुटाने के साथ विरोधी दलों पर घात – प्रतिघात किए। चुनावी मैदान में सत्तारुढ़ कांग्रेस की कोशिश फिर से सरकार पर काबिज होनी की हैं, तो विपक्षी भाजपा के इरादे पिछली हार का बदला लेकर सत्ता की कुर्सी से कांग्रेस को धकेलने की है। इन दो मुख्य दलों के अलावा बसपा और राजपा की लड़ाई राज्य में तीसरी ताकत बनने के लिए है।
 पिछले चुनाव में बसपा ने सीटें जरुर छह ही जीती थी लेकिन कांग्रेस और भाजपा के बाद सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाला राजनीतिक दल रहा। राजपा पार्टी जरुर नई है, लेकिन इसके नेता डा. किरोड़ी लाल मीणा पिछले चुनाव में निर्दलीय ही अपनी ताकत का लोेहा राजनेताओं को मनवा चुके है।
मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। दोनों ही दलों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में रिझाने के लिए अपनी उपलब्धियों का ब्यौरा दिया। वहीं दूसरे दल की खामियों को जनता के समक्ष उजागर किया। कांग्रेसी नेताओं ने निशुःल्क दवा और जांच की सुविधा के साथ वृद्ध व विकलांगों को दी पैंशन और खाद्य सुरक्षा की उपलब्धियां बताई। तो दूसरी तरफ भाजपा को जाति – धर्म के नाम पर समाज व देश को तोड़ने वाला बताया।
प्रमुख विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस के शासन की कमियों में प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के साथ बिगड़ती कानून – व्यवस्था का मुद्दा पुरजोर से उठाया। साबूत के तौर पर उसने राजस्थान और सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लेख किया। भाजपा नेताओं ने राज्य में बिजली की कमी से ग्रामीण और किसानों को हुई परेशानी के साथ सड़क निर्माण और औद्योगिकीकरण में पिछड़ते प्रदेश का हवाला देकर कांग्रेस को बैंकपुट पर लाने की कोशिश की।
राजेन्द्र राज
राजेन्द्र राज

कांग्रेस के प्रचार की महत्ती जिम्मेदारी राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निभाई। हालांकि प्रचार में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, श्रीमती सोनिया गांधी और केन्द्र सरकार के मंत्री भी जुटे रहे। इधर, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी और पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे ने ताबड़तोड़ जन सभाएं कर पार्टी के पक्ष में माहोल बनाया। अन्य नेताओं में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह और केन्द्रीय पदाधिकारियों ने माहोल को चुनावी युद्ध में बदलने की कोशिश की।

 राजनेताओं के प्रयासों से मतदाता कितने रीझे इसका पता तो मतों की आठ दिसम्बर को होने वाली गणना से चलेगा। लेकिन, एक तथ्य इस चुनाव में एकमत से स्वीकार किया गया कि चुनाव आयोग के प्रयास से धन-बल के प्रदर्शन पर अंकुश रहा।
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