सांचोर विधानसभा क्षेत्र : विश्नोइ और कलबियो का दबदबा

Photo Album sanchor-भाटी चन्दन सिंह- बाड़मेर जालोर की सरहद पर स्थित सांचोर विधानसभा क्षेत्र के मुकाबले बड़े दिलचस्प रहे हें। सांचोर विश्नोई जाति बाहुल्य क्षेत्र हें स्वाभाविक रूप से इस जाति का राजनीती में दबदबा हें ,वैसे सांचोर को कांग्रेस का गढ़ मना जाता था मगर एक दशक से इस क्षेत्र कके मतदाताओ का रुख बदला सा नज़र आता हें।
जातिगत आंकड़े सांचोर विधानसभा क्षेत्र में कुल दौ लाख छतीस हज़ार से अधिक मतदाता हें जिसमे विश्नोई 48000 ,कलबी 46000 ,मुस्लमान 14000 रबारी  14000 ,जाट 13000 जैन 6000 अनुसूचित जन जाति 4000 अनुसूचित जाति 43000 पुरोहित 10000 राजपूत 8000 प्रमुख मतदाता हें। विश्नोई कांग्रेस के परंपरागत मतदाता हें वाही जाट भी कांग्रेस का वोट बेंक रहा हें ,
अब तक चुनावो में। । सांचोर विधानसभा चुनाव पहली बार स्वतंत्र रूप से 1952 में लदे गए। प्रथम चुनाव में किशोर सिंह इन्र्दालीय और कांग्रेस के कनक राम के बीच मुकाबला हुआ ,जिसमे किशोर सिंह को आठ हज़ार इकरानवे ,कनक राम को चार हज़ार एक सौ चौवन और एक निर्दलीय को छ सौ अठावन मत मिले। किशोर सिंह ने पहला चुनाव तीन हज़ार नौ सौ सेंतीस मतों से जीत विधानसभा में प्रवेश किया। दूसरा चुनाव 1957 में हुआ। इन चुनावो में राम राज्य परिषद् के लक्ष्मी चंद को चार हज़ार आठ सौ अडतीस ,राम गोपाल को चार हज़ार चार सौ छ देवनारायण को तीन हज़ार दौ सौ बयालीस मत मिले। लक्ष्मीचंद ने चार हज़ार सैट सौ नौ मतों से जीत हासिल की विधायक बने।  तीसरा चुनाव में 1962 कांग्रेस ने रघुनाथ विश्नोई को मैदान में उतरा। सामने लक्ष्मी चंद जैन थे। रघुनाथ को पन्द्र हज़ार पांच सौ अठानु ,लक्ष्मी चंद को दस हज़ार आठ सौ उन नबे और रतन लाल को नौ सौ चौबीस मत मिले। सांचोर विधानसभा पर पहली बार कांग्रेस ने रघुनाथ विश्नोई के माध्यम से सीट पर कब्ज़ा किया। चौथ चुनाव 1967 के विधानसभा चुनावो में कांग्रेस ने रघुनाथ विश्नोई पर फिर दांव खेला उन्हें सुलह हज़ार सात सौ इकतार लक्ष्मी चंद को पन्द्र हज़ार एक सौ निनाणु और कालू को अठारह सौ छपन मत मिले। रघुनाथ विश्नोई लगातार दूसरी बार पन्द्र सौ बहतर मतो से विजय हासिल की। पांचवा चुनाव 1972 में लड़ा गया जिसमे कांग्रेस के रघुनाथ विश्नोई का मुकाबला बिजलाराम से हुआ। विश्नोई को छबीस हज़ार आठ सौ इकावन ,बिजलाराम को बीस हज़ार पिचहतर मत मिले सीधे मुकाबले में विश्नोई ने हैट तरीक लगा कर छह हज़ार सात सौ छिहातर मतो से विजय हासिल की। छठा चुनाव 1977 में संपन हुआ इस बार कांग्रेस ने फिर रघुनाथ विश्नोई को मैदान में उतरा उनका मुकाबला जनता पार्टी के बिजलाराम से हुआ। जिसमे विश्नोई को तीस हज़ार पेंतालिस बिजलाराम को छबीस हज़ार तिरेपन विरधी चंद को ग्यारह सौसौलाह मत मिले ,विश्नोई को सांचोर से लगातार चौथी बार विधायक बनाने का कीर्तिमान रच विधानसभा पहुंचे। सातवाँ चुनाव 1980 में संपन हुए जिसमे निर्दलीय कनक राम को इकतीस हज़ार छ सौ तीन कांग्रेस के रघुनाथ विश्नोई सताईस हज़ार आठ ,कांग्रेस अर्स के ज्वर राम को पांच हज़ार तीन मत मिले। इस बार रघुनाथ विश्नोई की सल्तनत को कनक राम से ध्वस्त कर उन्हें पांचवी बार विधायक बनाने से रोक दिया ,राम चार हज़ार पञ्च सौ ओइचन्वे मतों से विजयी हुए। आठवा चुनाव 1985 चुनावो में कांग्रेस ने फिर रघुनाथ विश्नोई को उतरा जहा उनका मुकाबला भाजपा के लक्ष्मी चंद से था। इन चुनावो में रघुनाथ को उनचालीस हज़ार आठ सौ सत्तर लक्ष्मी चंद को अड़तीस हज़ार आठ सौ सड़सठ राम सिंह को दौ हज़ार असि और कालू राम को दौ सौ सेंतालिस मत मिले ,रघुनाथ विश्नोई ने फिर एक हज़ार तीन मतों से सीट जीत कर कांग्रेस का कब्ज़ा किया। नवा चुनाव 1990 में भाजपा के लक्ष्मीचंद मेहता का मुकाबला कांग्रेस के हीरालाल विश्नोई से हुआ जिसमे हीरालाल को बतीस हज़ार तीन सौ अड़तालीस ,लक्ष्मी चंद को तेंतीस हज़ार तीन सौ इकावन निर्दलीय जीवाराम को अठाईस हज़ार दौ सौ चौवन ज्वाराराम को इकीस सौ इक्यासी ,,मीरा को तेरह हज़ार आठ सौ पांच करणी दान  को दौ  हज़ार इकतालीस और एनी पांच उम्मीदवारों को आठ सौ और उससे कम मत मिले। भाजपा के मेहता ने सात सौ सित्यासी मतों से जीत हासिल की दशव चुनाव 1993 में हुए दशावी विधानसभा चुनावो में कांग्रेस के हीरालाल भाजपा के मोतीराम के बीच मुकाबला हुआ।

चंदन सिंह भाटी
चंदन सिंह भाटी

जिसमे हीरालाल को छपन हज़ार दौ सौ चौरासी ,मोतीराम को चवालीस हज़ार नौ सौ पंद्रह ,जगाराम को दस हज़ार छ सौ इक्यासी ,अमरचंद जाट को बारह सौ संताणु ,अन्य सात कोएक हज़ार या कम मत मिले। कांग्रेस के हीरालाल ग्यारह हज़ार नौ सौ आठ मतों से विजयी हुए। ग्यारहव चुनाव में कांग्रेस ने 1998 हीरालाल को मैदान में उतार तो भाजपा जीवाराम को। जीवाराम को इक्यावन हज़ार पांच सौ पंद्रह हीरालाल को बासठ हज़ार सात सौ दस ,केवलाराम को छासथ सौ नौ ,आसू राम को दौ हज़ार छपन ,रघुनाथ विश्नोई को सत्रह सौ उन्सितर मोहनलाल को आठ सौ छासथ ,मत मिले। हीरालाल  विधायक बने उन्हें पांच हज़ार एक सौ पिन्चंवे मतों से विजय मिली। बाहरवी विधानसभा 2003 के चुनावो में भाजपा के जीवाराम को एक लाख सात हज़ार नौ सौ पिचहतर मत मिले तो कांग्रेस के हीरालाल को तिरेसठ हज़ार तीन सौ अस्सी मत मिले ,एक अन्य उम्मीदवार को तीन हज़ार आठ सौ उन नबे मत मिले भाजपा के जीवाराम रिकार्ड मतों चवालीस हज़ार पांच सौ पिचानवे मतों से विजयी हुए। तरह्वी विधान सभा चुनावो में भाजपा ने टिकट वितरण में गड़बड़ कर टिकट मिलाप चंद को दी ,स्थानित भाजपा के विरोध के बावजूद मिलाप चंद चुनाव लदे ,इन चुनावो में पिछली बार रिकार्ड मतों से जीते विधायक जीवाराम बागी होकर चुनाव लदे ,कांग्रेस ने इस बार सुखराम विश्नोई को मैदान में उतारा। जीवाराम को पचपन हज़ार दौ सौ सतावन ,सुखराम को इक्यावन हज़ार छ सौ तियालीस ,भाजपा के मिलाप चंद को सताईस हज़ार आठ सौ बयालीस ,शरवन कुमार को दस हज़ार आठ सौ तीन ,बाबूलाल को तीन हज़ार आठ सौ सितार। लक्शामानाराम को तीन हज़ार आठ सौ उनचालीस ,बनाराम को बाईस सौ पेंसठ मत मिले। जीवाराम को तीन हज़ार छ सौ चौदह मतों से विजय मिली।

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