ऐसे जननायक कम ही पैदा हुआ करते हैं

वीर कुमार पुण्यतिथि 23 जनवरी विशेष

veer kumar– विनोद चौहान ‘स्वामी जी’- अजमेर नगर परिषद के पूर्व सभापति स्वर्गीय वीर कुमार द्वारा डेढ़ दशक पूर्व अजमेर में करवाए गए विकास कार्यों और उनके द्वारा अजमेर में डाली गई साम्प्रदायिक सौहार्द की नींव के कारण आज भी अजमेर की जनता उन्हें याद करती है। वीर कुमार ने अजमेर में नगर परिषद सभापति के रूप में करीब साढ़े चार वर्ष शासन किया था। अल्पकाल में ही उनकी छवि गरीबों की हिमायत करने वाले जननायक, न्यायप्रिय और खाड़कु नेता की बन गई थी।
नगर परिषद में सभापति की कुर्सी सम्भालते ही उन्होंने सबसे पहले संस्था के आर्थिक हालात सुधारने का कार्य किया था। अपने परिश्रम और सूझबूझ का उपयोग करते हुए उन्होंने चुंगी और गृहकर से प्राप्त होने वाली आय में वृद्धि की। व्यावसायिक कर वसूली में भी उन्होंने सक्रियता और सख्ती बरतते हुए तेज कर वसूली अभियान चलाकर नगर परिषद की तिजोरी को हरने का काम किया था।
वर्तमान प्रधानमंत्री और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए जनता को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए जोड़ा था। पन्द्रह वर्ष पूर्व वीर कुमार ने भी उसी तर्ज पर अजमेर की जनता को एकजुट करने का महान कार्य किया था।
उनकी सांस्कृतिक कार्यक्रमों में विशेष रूचि थी इसलिए ही उन्होंने नवरात्रि के आयोजन को सरकारी कार्यक्रम के रूप में आयोजित करने की परम्परा शुरु की। छोटे- छोटे कलाकारों को भी उनकी प्रतिभा की कद्र करते हुए उन्होंने मंच उपलब्ध करवाया था।
धर्म और सम्प्रदाय से ऊपर उठकर उन्होंने हिन्दु, मुस्लिम, सिख और इसाई के साथ ही अन्य धर्मों के त्यौहारों पर अजमेर की सरकारी इमारतों पर रौशनी करवाने की परम्परा शुरु की थी।
लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार के लिए नगर परिषद के बजट में विशेष प्रावधान कर उन्होंने मानवता का उदाहरण पेश किया था। वीर कुमार ने अजमेर में स्थिति विभिन्न धार्मिक स्थलों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने और उनका विकास करने के लिए बजट में से भारी रकम खर्च की थी और ऐसे कार्यों के लिए विपक्षी दलों के नेताओं का भी सहयोग लिया था।
अजमेर के सभी बाग- बगीचों और पार्कों को फिर से जीवंत करने का काफी श्रेय वीर कुमार को ही जाता है।

विनोद चौहान
विनोद चौहान

वीर कुमार को एक ऐसी शख्सियत के रूप में याद किया जता रहेगा जो कभी कन्धों पर कावड़ उठाकर कावड़ यात्रा में आगे चलता रहा और कभी मदार साहब की सीढ़ियां चढ़ता दिखाई दिया।
सभी को साथ लेकर चलने की उनकी स्वभावगत आदत के चलते कभी कभी विपक्षके नेताओं पर भी यह आरोप लगा करते थे कि उनकी वीर कुमार से मिलीभगत है। न्याय और विकास कार्यों पर फैसले वीर कुमार ध्रम और दलगत राजनीति से उपर उठकर लिया करते थे और उनकी लोकप्रियता की एक बड़ी वजह यह भी थी।
उनके निधन से अजमेर को जो हानि हुई थी उसकी भरपाई शायद कभी नहीं हो सकती क्योंकि ऐसे जननायक कम ही पैदा हुआ करते हैं।
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