क्‍या नेपाल के इस भूकम्‍प की भविष्‍यवाणी की गई थी ?

kundli1kundli2नेपाल में हुए भयानक त्रासदी की बात सुनकर देखकर मन तकलीफ में था, दो तीन दिन से नेट भी नहीं होने से कुछ लिख न सकी, पर इस दौरान मिले फोन और मैसेजों ने मजबूर किया कि कुछ लिखूं।
जब भी कहीं कोई प्राकृतिक घटना घटती है , लोगों की नजर ज्‍योतिष के क्षेत्र की ओर ही जाती है , इसकी भविष्‍यवाणी कहीं की गई थी क्‍या ?
यदि की गई तो यह तुक्‍का , इस ज्ञान से कोई फायदा नहीं होने वाला , और नहीं की गई तो ज्‍योतिष और ज्‍योतिषियों की तो खैर नहीं ,अरबों खरबों रूपए खर्च करने के बाद भी अक्षमता जता रहे लोगों से भले ही लोगों को कोई शिकायत नहीं हो , पर एक पाई भी खर्च करने में असमर्थ लोगों की ज्‍योतिष से अपेक्षा देखकर तो दंग ही रह जाना पडता है।
अभी तो काफी दिनों से कई प्रकार के रिसर्च के सिलसिले में मैं फेसबुक पर सक्रिय नहीं पर , अपने गुरू और पिताजी श्री विद्या सागर महथा जी कि एक भविष्‍यवाणी वाले लेख पर आपका ध्‍यान संकेन्द्रित करवाना चाहूंगी। ये रहा लिंक ……
क्या 18 -19 अप्रैल किसी बड़े दुर्योग की ओर संकेत करता है?
https://www.facebook.com/permalink.php?story_fbid=869826066441182&id=562302390526886
इसमें साफ साफ लिखा है …. उपर्युक्त सभी योगों को मिला दिया जाय तो आकस्मिक दो चार ऐसी घटनाएँ इन तिथियों को दिखाई पड़ेंगी जो दिल दहलाने वाली विनाशकारी हो. ऐसे अवसर पर रेल, यान, यातायात और आतंकवादी घटनाओं को रोकने से सम्बंधित आवश्यक इंतजाम पर व्यवस्थापकों का ध्यान केंद्रित होना चाहिए.
आसमान में जो ग्रहस्थिति एक बार बनती है, उसका जन्‍म दोबारा होने में सैकडों वर्ष लग जाते हैं, इसलिए हम संभावनाओं पर ही काम करते हैं, भविष्‍यवाणी नहीं। इस 18-19 अप्रैल की तिथि और 25-26 अप्रैल की तिथि में अंतर इन चित्रों में दिखाया जा रहा है, कुंडली में एकमात्र चंद्र की स्थिति का अंतर है, बाकी सारे ग्रह उसी जगह पर हैं। मेरे पिताजी ने जिस योग को 18-19 अप्रैल यानि अमावस के दिन अधिक सक्रिय समझा , उसकी सक्रियता सप्‍तमी अष्‍टमी को अधिक हो गई। लांगिच्‍यूड के हिसाब से नेपाल में यह घटना घटी क्‍योंकि वहां चंद्रोदय ने इस योग को अधिक सक्रिय बनाया , दोनो ही दिन कर्क लग्‍न के उदय होने पर ही यानि 11:40 और 12:40 यानि कर्क लग्‍न के साथ ही नहीं चंद्रमा के उदय के साथ ही सबसे प्रभावी भूकम्‍प दिखा। चंद्र के सिंह राशि में जाते ही कल से प्रभावी भूकम्‍प की सूचना नहीं मिली है। लैटिच्‍यूड के हिसाब से नेपाल में ही ऐसा होगा , इसका निष्‍कर्ष भी विराट आसमान के किसी ग्रह के पृथ्‍वी में पडनेवाले कोण से समझ में आ सकता है, जिसकी जानकारी एस्‍ट्रोनोमी विभाग के साथ तालमेल से प्राप्‍त की जा सकती है।
प्रकृति का नियम है, बनने में समय लगता है बिगडने के लिए एक क्षण काफी है, पर ज्‍योतिष के क्षेत्र को तो सैकडों वर्ष बिगडने के लिए ही छोड दिया गया है। ऐसे में हमारे परिवार ने बीडा उठाया है , ग्रहों के जड चेतन पर प्रभाव पर इतनी सूक्ष्‍म दृष्टि डालने वाले हम पूरे परिवार आनेवाली वाली पीढी को अवश्‍य कुछ सटीक निष्‍कर्ष दे सकेंगे।
sangita puri 1यह लेख ज्‍योतिष प्रेमियों की जानकारी के लिए लिखा गया है , ज्‍योतिष विरोधियों के लिए नहीं, इसलिए जिन्‍हें न पचे वो शांत रह सकते हैं। बहस का आज बिल्‍कुल मूड नहीं , नेपाल की भयंकर त्रासदी में मरने वाले लोगों के प्रति श्रद्धांजलि के साथ साथ बचे लोगों की शीघ्र रिकवरी की प्रार्थना के साथ एक विश्‍वास कि शायद कभी हमारे सिद्धांतों की बदौलत सभी विषय के विशेषज्ञों के साथ काम करते हुए ऐसी घटनाओं से लोगों को बचाया जा सकेगा।

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