गत्यात्मक ज्योतिष के प्रचार प्रसार में आपके सहयोग की अपेक्षा

sangita puri
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‪#‎100women‬ में मेरे सेलेक्‍शन की खबर के साथ इस बार नया साल मेरे लिए खुशियां लेकर आया .. जनवरी के अंतिम सप्‍ताह ने इन खुशियों को पूर्ण रूप से अनुभव करने का आनंद दिया…. देशभर से चुनी गई 100 सशक्‍त महिलाओं में खुद को शामिल देखकर अवार्ड प्राप्‍त करना .. इसके साथ साथ राष्‍ट्रपति महोदय के साथ लंच करना ….. गणतंत्र दिवस समारोह में विशिष्‍ट अतिथि के रूप में सम्‍मान प्राप्‍त करना …. ये सब मेरे लिए अकाल्‍पनिक और अविस्‍मरणीय बातें रहीं …. जीवनभर एक खास क्षेत्र में मेरे समर्पण भरे कार्य ने मुझे जो पुरस्‍कार दिलाया … उसके लिए महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी जी का जितना आभार व्‍यक्‍त करूं कम ही होगा …. नोमिनेशन और वोटिंग के वक्‍त हमारे फेसबुक मित्रों ने हमें जो मदद की और मुझे यहां तक पहुंचाया उनका भी बहुत बहुत शुक्रिया!
22 जनवरी को राष्‍ट्रपति भवन में हमारे बैठने की व्‍यवस्‍था पहले से तय थी , राष्‍ट्रपति महोदय और मेनका गांधी जी के 1 नं के अंडाकार टेबल के चारो ओर 12 टेबल और लगे हुए थे , मेरे बैठने की व्‍यवस्‍था 11 नं टेबल पर थी , जिसमें हम पांच वूमेन एचीवर्स के साथ WCD के तीन सदस्‍य , ईटीवी हिंदी और उर्दु के प्रमुख जगदीश चंद्र जी और दो मेहमान थे, हमारे साथ बैठे रोहतक से आए डॉक्‍टर जोगिन्‍द्र पाल चुग जी की पत्‍नी Renu Chugh , एजुकेशन के क्षेत्र से ही वूमेन एचीवर थी , टेबल नं 6 पर थी। दिल्‍ली के डीपीएस से रिटायर हो चुकी तमन्‍ना सपेशल स्‍कूल की फाउंडर , पेसिडेंट , एजुकेशन के क्षेत्र की ज्‍यूरी मेम्‍बर श्रीमती श्‍यामा कोना हमारे टेबल के बगल में ही टेबल नं 10 पर बैठी हुई थी। इस व्‍यवस्‍था के बारे में हमें राष्‍ट्रपति भवन में जाने से पूर्व ही मालूम हो चुका था। खाने से पहले श्रीमती मेनका गांधी ने हम 100 एचीवर्स की सराहना करते हुए हमें शुभकामनाएं दी। खाना शुरू हुआ, खाने के दौरान नौसेना की विशेष धुन बजती रही। खुद को विशेष अनुभव कराता हुआ आधे पौन घंटे का समय कैसे व्‍यतीत हो गया, पता भी न चला, सिर्फ यादें ही शेष रह गई।
dhanbadज्‍योतिष के क्षेत्र में जीवन भर काम करती हुई , इस क्षेत्र में मौजूद सभी अंधविवश्‍वासों पर चोट करती हुई ,अपने पिताजी श्री विद्या सागर महथा जी के द्वारा विकसित की गई ज्‍योतिष की नई शाखा ‘गत्‍यात्‍मक ज्‍योतिष’ के बारे में जानकारी प्रदान करती हुई इतने वर्षों से इंटरनेट में नियमित लिखने का पूरा पूरा फायदा मुझे मिल गया, यह पुरस्‍कार समाज के बीच मुझे एक नई पहचान देने में समर्थ हुआ है , जिसके फलस्‍वरूप जीवन में एक मोड की संभावना प्रशस्‍त हुई है , जो समाज से अंधविश्‍वास का खात्‍मा कर ज्‍योतिष को विज्ञान के रूप में स्‍थापित कर सकता है, इसके लिए भी आप सबों का सहयोग अपेक्षित है।

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