नारी को हमेशा से भारतीय समाज में सर्वोच्च एवम् विशेष सम्मान प्राप्त है|नवरात्रा का उत्सव समाज में महिलाओं को आदर-सम्मान देने की पुरातन परम्परा का साक्षात् प्रमाण है|नवरात्रा पर्व में महिलाओं की सभी गतिविधियों तथा कार्यकलापों को सकारात्मक रूप में सम्मिलित किया गया है|
जहाँ एक तरफनवरात्रा का पहला दिन बालिकाओं को वहींदूसरा नवरात्रा युवतियों को तथा तीसरा नवरात्रा महिलाओं के चरणों में समर्पित है|देवी अम्बा उर्जा (प्राक्रतिक शक्तियों) की प्रतीक है|नवरात्री के चोथे,पांचवें एवं छठे दिन माता लक्ष्मी यानि सुख-सम्पन्नता,शांति एवं वैभव के दिन है|यह भी स्मरणीय है कि जीवन में धन-दोलत एक सीमा तक महत्वपूर्ण है किन्तु इसके साथ जीवन में बुद्धी-ज्ञान बहुत जरूरी है|पाचवें दिन बुद्धी-ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाती है क्योंकि बुद्धी-ज्ञान के अभाव में धन-सम्पदा का सदुपयोग सम्भव नहीं होता है इसीलिये नवरात्री में लक्ष्मी एवं सरस्वती की पूजा-अर्चना साथ की जाती है|
ऋषि-मुनियों ने नवरात्रा की प्रथम“देवीशैलपुत्री”के जरिये हम लोगों को पहाड़ों के प्राक्रतिक स्वरूप को सुरक्षित बनाये रखने का संदेश दिया है, वहींइसी अनुक्रम में“देवी ब्रह्मचारिणी”के माध्यम से हमें जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए निरंतर ज्ञानार्जन प्राप्त करने का संदेश मिलता है| “देवी चन्द्रघंटा”हम सभी को नारी की सुन्दरता के साथ साथ चन्द्रमा से मिलनेवाली शीतलता,शालीनता,सहनशीलता,सहजता एवं शांति का बोध करवाती है| “देवी कूष्मांडा”इस स्रष्टी में नारीयों के अस्तित्व का बोध करवाती है,देवी कूष्मांडा को नारी सम्मान तथा स्रष्टी रचना में इन्हें अक्षुण्ण बनाये रखनेवाली देवी के रूप में देखा जाता है|देवी स्कन्दमाता की पूजा नवरात्र के पांचवें दिन होती है, छठी दुर्गा का नाम है कात्यायनी जिसकी पूजा नवरात्र के छठे दिन होती है । सातवी दुर्गा का नाम है कालरात्रि जिसकी पूजा नवरात्र के सातवें दिन होती है।कष्टों,मुसीबतों,विपदाओं (काल) के हरण के प्रतीक में”देवी कालरात्री”की पूजा होती है |आठवीं देवी का नाम है महागौरी जिनकी पूजा नवरात्र के आठवें दिन होती है। नवीं दुर्गा का नाम है सिद्धिदात्री जिसकी पूजा नवरात्र के अन्तिम दिन होती है।
जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने,lवेबइण्डिया,विभिन्न पत्रिकाएँ,बोल्डस्काई,एस्ट्रोबिक्स.कॉम,भारत ज्ञान कोष,संतों के प्रवचन,जनसरोकार,विकीपीडिया आदि
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