नवरात्रों का वैज्ञानिक आधार

डा. जे. के. गर्ग
डा. जे. के. गर्ग
पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करते समय एक साल में चार संधियां होती हैं जिनमें से मार्च व सितंबर माह में पड़ने वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़ते हैं। इस समय हमारे शरीर पर रोगाणुओं के आक्रमण की सर्वाधिक संभावना होती है । ऋतु संधियों में अक्सर शारीरिक बीमारियां बढ़ती हैं। अत: उस समय स्वस्थ रहने के लिए तथा शरीर को शुद्ध रखने के साथ साथ तन-मन को निर्मल और पूर्णत: स्वस्थ रखने के लिए की जाने वाली प्रक्रिया का नाम“नवरात्र’”है।
जीवन में प्रतेयक मनुष्य को तीन तरह की विकट समस्याओं का सामना करना होता है,यथा भौतिक,मानसिक और आध्यात्मिक। इन समस्याओं से जो मनुष्य को जो छुटकारा दिलवाती है वह होती है“रात्रि”। रात्रि या रात मनुष्यों को दुख से मुक्ति दिलाकर उनके जीवन में यश-सुख-सम्पदा लाती है। मनुष्य कैसी भी परिस्थिति में हो उसे रात में ही आराम मिलता है। रात की गोद में हम सभी अपने सारे सुख-दुख को भुला कर निद्रा की गोद मे चले जाते हैं।
इन दिनों में हमारी मुख्य इन्द्रियों में अनुशासन,स्वच्छ्ता,तारतम्य स्थापित करने के प्रतीक रूप में एवं अपने शरीर तंत्र को पूरे वर्ष के लिए सुचारू रूप से क्रियाशील बनाये रखने हेतु”नौ द्वारों की शुद्धि का पर्व नवरात्रा”नौ दिन तक मनाया जाता है। हालांकि शरीर को सुचारू रखने के लिए हम हमारे शरीर की सफाई या शुद्धि तो प्रतिदिन करते ही हैं किन्तु अंग-प्रत्यंगों की बाहरी सफाई के साथ आंतरिक अंगो की सफाई करने हेतु हम प्रतिवर्ष6माह के अन्तराल मे नो दिनों तक संतुलित और सात्विक भोजन कर अपना ध्यान चिंतन और मनन में लगा कर स्वयं को भीतर से शक्तिशाली बनाते है। ऐसा करने से जहाँ एक तरफ हमें उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है वहीं दूसरी तरफ मौसम के बदलाव को सहने के लिए हम अपने आपको आंतरिक रूप से भी मजूबत बनाते हैं
जिस प्रकार मां के गर्भ में नौ महीने रहने के बाद ही हमारा जन्म होता है उसी प्रकार इन नवरात्रों में अपनी आत्मा को अपने मूल रूप यानि अपनी वास्तविक जड़ों तक वापस ले जाने हेतु हमें ध्यान,सत्संग एवं अन्य सात्विक कार्य करने चाहिये|
नवरात्र दो शब्दों से मिलकर बना है यानि नव और रात्र। नव का अर्थ है नौ है वहीं रात्र शब्द में पुनः दो शब्द शामिल हैं:–रा+त्रि।“रा”का अर्थ है रात और“त्रि”का अर्थ है जीवन के तीन पहलू- शरीर,मन और आत्मा।
जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने,lवेबइण्डिया,विभिन्न पत्रिकाएँ,बोल्डस्काई,एस्ट्रोबिक्स.कॉम,भारत ज्ञान कोष,संतों के प्रवचन,जनसरोकार,विकीपीडिया आदि
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