रक्षा बंधन को मनायें बहिन बेटियों के सुरक्षा कवच दिवस के रूप में

dr. j k garg
dr. j k garg
प्राचीन काल में रक्षाबन्धन बहन-भाई तक ही सीमित नहीं था,अपितु आपत्ति आने पर अपनी रक्षा के लिए अथवा किसी की आयु और आरोग्य की वृद्धि के लिये किसी को भी चाहे वे बुजुर्ग हो या युवा –माता पिता भाई बहिन एवं पुरोहित को रक्षा-सूत्र (राखी) बांधा या भेजा जाता था | दो-तीन वर्ष पूर्व निर्लज निर्भया बलात्कार कांड से सारा देश हिल गया,सरकार ने बलात्कार,अपहरण,योनाचार एवं स्त्री सुरक्षा-अस्मिता हेतु कठोर कानून भी बनाये किन्तु इन सब कोशिशों के बावजूद बलात्कार,अपहरण जैसी नारकीय घटनाओं में कोई कमी नहीं आई| देश के विभन्न भागों में आज भी आये दिन हमारी बहन बेटियों के साथ बलात्कार की घटनाएँ होती ही रहती है इसीलिये सच्चाई यही है कि ऐसी अमानवीय घटनाओं को कानून,पुलिस या सरकार के माध्यम से हल नहीं किया जा सकता है|हमारे देश के लिये कलंक बन चुकी इन विभत्स घटनाओं को रोकने का एक मात्र रास्ता जन जाग्रति,जन अभियान,जन चेतना ही है|
समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि“भैया,जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैं वैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने मन में यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्ण दृष्टि से ही देखोगे तथा हर माता व बहन की लाज एवं अस्मिता की रक्षा भी करोगे।“जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवाएगीतो अवश्य ही वो समय आयेगा जब देश की हर माता-बहनें एवं बेटियां सुरक्षित रहेगीं जिसके फलस्वरूप भविष्य में अपहरण,यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित नहीं होंगी ।
आईये रक्षा बंधन को मनायें वर्द्धावस्था सुरक्षा कवच पर्व के रूप में:
भौतिकतावाद के वर्तमान समय में जब हम बुजुर्ग माताओं-पिताओं को अपना शेष जीवन जीने के लिये वृ्द्ध आश्रम जाते हुए देखते हैं तो उस समय दुःख और विषाद उत्पन्न होता है एवं ह्रदय कराह उठता है|इस समस्या का समाधान करने और माता-पिता के बुढ़ापे को सुखद बनाने हेतु हम रक्षा बंधन के पर्व का बेहतरीन तरीके से उपयोग कर सकते हैं—रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक पुत्र-पुत्री अपने अपने माता-पिता की कलाई पर राखी बांध कर यह शपथ लें कि वें अपने माता पिता की सभी तरह से देख भाल करेगें,उनकी समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल रखेंगे एवं उनके प्रति हर प्रकार के दायित्वों का निर्वाह निष्ठा पूर्वक करते हुए उनकी सेवा सुश्रुषा करेगें जिससे उनका शेष जीवन निर्विघ्न एवं सुखद बनें|अतः आइये ! इस रक्षाबन्धन के पर्व पर राष्ट्र रक्षा का संकल्प करें।सभी भारतीयों को एक दूसरे से रक्षा सूत्र में बांधे एवं राष्ट्र निर्माण तथा राष्ट्र कल्याण हेतु कार्य करने का सकंल्प भी करें|
यदि आप इन विचारों से सहमति रखते हैं तो आईये आज ही इसी क्षण से बहन-बेटियां की सुरक्षा और अस्मिता एवं हमारे वर्द्ध माता-पिता के खुशहाल-स्वस्थ जीवन हेतु जन जागरण सामाजिक चेतना अभियान का शुभारम्भ कर इस हेतु प्रकाश दीप जलाकर हमारे समाज में विध्यमान अंधकार-कालिमा को नष्ट करने के यज्ञ को सफल करें|
इन भावनाओं को अपने स्तर पर फेसबुक,ट्विटर,सोशल मिडीया,प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम,लोकल चेनल्स,स्वयं सेवी संस्थाओं (NGO)स्कूलों,कॉलेजों,धार्मिक आयोजनों,सामाजिक आयोजनों पर प्रचारित और प्रसारित करें|इस संदेश का ऑडियो बनाये,वीडियो बनाकर यूटूयुब पर अपलोड करें,पारस्परिक वार्तालाप करें|स्थानीय प्रशासन से सहयोग लें|राज्य सरकारों से अनुरोध करें कि वे सभी शिक्षण संस्थाओं में परिपत्र भेज कर इस वर्ष18अगस्त को मनाये जाने वाले रक्षा बंधन पर्व पर बहिनों दुवारा अपने भाईयों से प्रतिज्ञा पत्र भरवाएं|
डा. जे. के. गर्ग

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