क्यों याद आई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की !!!

दीप्ति सिंह
दीप्ति सिंह
एकाएक आखिर ऐसा क्या हुआ कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शहीद चंद्रशेखर आज़ाद की याद आई और वह मध्य प्रदेश के भाभरा उनकी जन्म स्थली में आ गए।
बीजेपी के साथ दिक्कत यह है कि जिस राजनीतिक विरासत को वह लेकर चलती है, वह जनसंघ, आरएसएस और हिंदुत्व के आंदोलन में गुंथी हुई है. और हकीकत यह है कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में इसका कोई सिपाही शामिल नहीं था. बीजेपी अपना मूल उन नेताओं में खोजती है, जो आजादी के लिए शुरू हुए राष्ट्रीय आंदोलन में सक्रिय नहीं थे. इस संदर्भ में बीजेपी के पितृ संस्थानों के पास लोगों को प्रेरित करने के लिए कुछ भी नहीं है. लिहाजा मोदी को आजादी के रोल मॉडल के लिए दूसरों की ओर देखना पड़ा है. अंग्रेजी हूकूमत के दौरान -आभार (श्री शशि थरूर जी) जी का जिन्होंने अपने लेख में लिखकर भाजपा की सच्चाई बताने की कोशिश की
भाजपा का छद्म शहीद प्रेम देख कर कई सवाल मन में आते है जिन्हें सही से क़ुर्बानी का मतलब तक नहीं मालूम आज वो लोग हमारे उन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को याद कर रहे है
1925 में स्थापित हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने देश की आजादी में कोई योगदान नहीं दिया था। आरएसएस अंग्रेजों को बढ़ावा देने का काम किया करती थी। देश के तमाम स्वतंत्रता सेनानियों की सूची में कोई भी आरएसएस कार्यकर्ता नहीं हैं। जिनका कोई इतिहास नहीं वो पूरे देश में आज कार्यक्रम कर रहे है ‘आजादी के 70 साल- ज़रा याद करो कुर्बानी’ इस कार्यक्रम के पीछे भाजपा की छुपी क्या मानसिकता है ये आज समझना बहुत ज़रूरी हैं मोदी जी एकाएक चंद्रशेखर आज़ाद जी की जन्म भूमि पर आते है उनको माल्यार्पण करते है उनकी क़ुर्बानी याद दिलाते है बहुत अच्छी बात है लेकिन संघ के किसी नेता ने देश की आज़ादी के नाम पर क़ुर्बानी के तौर पर अपनी ऊँगली तक क़ुर्बान नहीं की भाजपा का ये छद्म प्रेम देखकर कई सवाल मन में आ रहे है क्या उनका जवाब भाजपा या संघ दे सकती है क्या ?
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए मोदी जी ने कितने स्वतंत्रता सेनानियों के स्मारक बन बायें ? क्यूँ कुछ ही स्वतंत्रता सेनानियों की पुणतिथि मानते सबकी क्यूँ नहीं मानते ? ( आज़ादी के 70 साल- ज़रा याद करो क़ुर्बानी ) कार्यक्रम के प्रोमो विडियो में हमारे राष्ट्र पिता महात्मा गांधी जी और भारत के पहले प्रधान मंत्री स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरु जी का क्यों नाम नहीं जब हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का भारत की आज़ादी का मिशन एक था विचार धारा एक थी तो फिर क्यों हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को भाजपा द्वारा बाटा जा रहा है क्या ये उनकी कुर्बानियों का अपमान नहीं ये तमाम सवाल मन में है इन सब सवालों के साथ हमको समझने की ज़रूरत है की आज क्या कारण है जिन्होंने देश की आज़ादी के वक़्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मुखबारी की अंग्रेज़ों को माफ़ी नामे लिखे आज अचानक शहीद प्रेम क्यूँ जगा कही ये लोकसभा चुनाव से पहले जनता से किये वादों पर खरे ना उतर पाने पर जनता को गुमराह करने का कोई नया षड्यंत्र तो नहीं कही UP चुनाव कारण तो नहीं कुछ वादे याद दिलाना चाहती हूँ कश्मीर-धारा -370, राममंदिर, काला धन, हर व्यक्ति के खाते में 15-15 लाख रुपया ये सब पर खरे नहीं उतर पायें उसके बाद बिहार चुनाव में आरक्षण, गौरक्षा लेकिन दुर्भाग्य देखिए क्या हालत हुई बिहार में भाजपा की अब UP चुनाव से पहले दलित-आदिवासी प्रेम कही सबरी भोज तो बाबा साहेब अम्बेडकर की जन्म स्थली पर पहुँच कर माथा टेकना तो कभी मेरे दलित भाइयों को गोली मत मारों मुझे मार दो और अब शहीदों से प्रेम इस सब के पीछे कही अब UP चुनाव तो नहीं हैं
मोदी जी आप ख़ूब मनाइये ज़श्ने आज़ादी आप ख़ूब याद करिये हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को लेकिन आपकी दौरे हुकूमत में जो फ़ासीवाद फैल रहा है पहले उसको नष्ट करिये और हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को बाटना बंद कर दीजिये अगर आप ऐसा नहीं कर पाते तो आप स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान नहीं बल्कि अपमान कर रहे हो!
हमारे लिए स्वतंत्रता का असली जश्न वही है जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों द्वारा बनाये गाये संविधान का एक-एक शब्द पूर्ण रूम से लागू हो जायें
जय हिन्द जय भारत

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