बनाईये अपने बुढ़ापे को जिन्दगी का गोल्डन पिरीयड –पार्ट 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
कहा जाता था कि “अगर आपने अपना चरित्र खो दिया तो सच मानिये कि आपने सब कुछ खो दिया है वहीं अगर स्वास्थ्य खो दिया तो आपने कुछ कुछ खो दिया है किन्तु अगर आपने धन दोलत खो दी है तो आपने कुछ नही खोया है | आजकल सच्चाई यही है कि बुढ़ापे में अगर आपने अपना स्वास्थ्य खो दिया तो आपने सब कुछ खो दिया है” | उत्तम स्वास्थ्य के लिये—-प्रति दिन स्वास्थ्यवर्धक भोजन नियत समय पर करें यथा फल एवम् ताजा सब्जियां | आवश्यकता से अधिक भोजन नहीं करें | नशाखोरी को त्यागें | बीडी-सिगरेट पीना छोड़ दें | बुढ़ापें मै साधरणतःशारारिक उर्जा कम हो ही जाती है, शरीर के अंक शिथिल होने लगते हैं | बीमारियाँ हावी होने लगती है | मन में जीवन के प्रति उत्साह के स्थान पर निराशा, अरुची एवं हावी होने लगती है | बुढ़ापें में हम उन बाह्य बातों पर व्यर्थ की चिंता करते हैं जिन पर हमारा कोई नियन्त्रण नहीं होता है | मन की आंतरिक खुशी मंद होने लगती है | इन परिस्थतीयों में खुशीयों तथा प्रसन्नता की अभिव्रद्धी के लिये नियमित योग-कसरत करें | सुस्ती को छोड़ कर एक्टिव एवं व्यस्त रहें | चुस्त-दुरुस्त रहें | अपनी आयु के अनुरूप खेलें, नियमित रूप से घुमने जायें, तैराकी करें, सरल एवं सुविधाजनक व्यायम-कसरत करें | योग –प्राणायाम करें | रोज 10 से 15 मिनट मेडीटेसन करें | गहरी नींद लें | दिमाग पर बोझ नहीं रक्खें | जो होता है उसे होने दें | बीती ताई बिसार दें | महीने में एक या दो मर्तबा उपवास करें | अपना काम खुद करें | हंसे और दूसरों को हंसाये | कभी भी हिम्मत नहीं हारें |
बुजुर्गों को परिवार में हमेशा नपा तुला ही बोलना चाहिये और वो भी मधुर वाणी में | अपने स्वजनों यानि पुत्र, पुत्री, पुत्रवधुओं, दामाद या पोत्र-पोत्री के कामों में बेवजह रोक-टोक नहीं करें | अपनी पुत्र-वधु को दिल से बेटी मानें और उसकी छोटी मोटी गलतियों पर ध्यान नहीँ दें | बहु-बेटियों के काम की स्वजनों एवं मित्रों के सम्मुख प्रशंसा करें, उनका उत्साहवर्धन करें और आशीर्वाद दें | पुत्र वधु के माता-पिता तथा बेटी के सास-ससुर को आदर दें | बहुओं के माँ-बाप को सुलक्ष्मी के समान पुत्र वधु देने हेतु धन्यवाद भी दें वहीं बेटी के सास-ससुर को पढ़ा लिखा योग्य बेटा देने के लिये शुक्रिया कहें |
डा. जे.के. गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों के सत्संग, मेंडी ओकलेंडर आदि |
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