बनाईये अपने बुढ़ापे को जिन्दगी का गोल्डन पिरीयड –पार्ट 5

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
नवीन सर्वों के अनुसार वृद्धावस्था में जिनके पारिवारिक संबंध मजबूत एवं मधुर होते हैं उन लोगों के दीर्घायु होने की सम्भावना अपेक्षाकृत ज्यादा होती है वनिस्पत उन लोगों से जिनके पारिवारिकमें लोगों से जिनके परिवारों में कलह और तनाव का माहोल होता है |
येलयूनिवर्सिटी में किये गये शोध में मालूम हुआ कि ढलती उम्र पर नकारात्मक नजरिया रखने वाले स्त्री-पुरुषों को जब अच्छा एवं सकारात्मक सोच रखने के लिए कहा गया तो बुढ़ापे के संबंध में उनका नजरिया एकदम बदल गया और उनकी शारीरिक तथा मानसिक स्थिति में भी आशातीत सुधार पाया गया।
हजारों दीर्घजीवी स्त्री पुरुषों से बातचीत करने पर यह मालूम हुआ कि जीवन के प्रति उत्सुकता, खुलापन, लक्ष्य प्राप्ति के लिए निरंतर प्रयत्नशील रहना, हंसना-हंसाना, सकारात्मकता ही उनके लम्बी आयु एवं उत्तम शारारिक-मानसिक स्वास्थ्य का राज है | सर्वे से यह भी ज्ञात हुआ कि दीर्घायु मनुष्य अपने सामर्थ्य के अनुसार दूसरों मदद करने को तत्पर रहते हैं, ऐसे व्यक्ति कोई भी नया रचनात्मक काम करने तय्यार रहते हैं |
शोधार्थियों को यह भी ज्ञात हुआ कि चिडचिडे एवं निराशावादी आदमीयों की तुलना में आशावादी और सकारात्मक सोच वाले आदमी दिल का दौरा पड़ने बाद तेजी से स्वस्थ हुए। ऐसे लोगों के अन्दर अवसाद अपेक्षाकृत कम होता है ।डा. जे.के. गर्ग, सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों के सत्संग, मेंडी ओकलेंडर आदि |
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