बनाईये अपने बुढ़ापे को जिन्दगी का गोल्डन पिरीयड –पार्ट 6

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
ओसवाल्ड, A और ब्लान्च्फलोवेर, D के लेख ‘Is Well-Being U-shaped over the life cycle?’ Social Science and Medicine 66 (6), 1, 733-49 जो 2008 में प्रकाशित हुआ था के के अनुसार विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री पुरुषों पर किये गये शोध एवं सर्वे से मालूम हुआ है कि 20 वर्ष की आयु तक खुशी का स्तर काफी ज्यादा होता है,इसके बाद अगले 10 वर्ष यानि 30 वर्ष पर खुशी के स्तर में कमी होती है तथा 40 वर्ष की आयु के बाद लगभग 45-46 के आयु वर्ग में न्यूनतम हो जाती है | 50 वर्ष की आयु के बाद ख़ुशी का स्तर बढ़ना चालू हो जाता है और खुशी का स्तर नवयुवकों में पाये जाने स्तर से भी ज्यादा हो जाता है | हाल ही में विश्व भर में किये गये सर्वे के अनुसार 70 वर्ष या उससे भी अधिक आयु के स्वस्थ स्त्री-पुरुषों के अन्दर ओसतन खुशी का स्तर 20 वर्षीय युवाओं के समान होता है |
प्रख्यात वकील श्रीराम जेठमलानी 90 वर्ष से ज्यादा उम्र में भी सक्रिय हैं वहीं अनेकों सर्जन 90 से भी अधिक उम्र में जटिल से जटिल आपरेशन सफलता पूर्वक कर रहें हैं | पिकासो 90 वर्ष की उम्र में चित्रकारी किया करते थे | सुकरात 70 वर्ष की अवस्था में अपने दर्शन की व्याख्या किया करते थे | 72 वर्ष की आयु में भगवान महावीर 24 घंटों तक निरंतर उपदेश दिया करते थे | प्रबल मन का धनी इंसान उम्र को जीत लेता है वहीं दुर्बल मन के व्यक्ति पर उम्र हावी हो जाती हे एवं उसे समय से पहले ही बुढा बना देता है | रिटायर्ड लाईफ के बजाय रिलेक्सेड लाईफ जीयें | वृद्धावस्था को तकलीफ़देह नहीं किन्तु जीवन का स्वर्णकाल माने क्योंकि इस समय तक साधारणतया आदमी अपनी सभी जिम्मेवारियों का निर्वाहण पूरा कर लेता है | जीवन को सहजता से जीने की कला ही बुढ़ापे को सार्थक बनाने का अचूक मन्त्र है |
डा. जे.के. गर्ग
सन्दर्भ—मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न संतों के सत्संग, मेंडी ओकलेंडर आदि |
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