तीर्थराज पुष्कर

पुष्कर की उत्त्पति के बारे में पोराणिक मान्यतायें—–
pushkar 21पुष्प से बना पुष्कर—– पद्मपुराण में प्राप्त विवरण के अनुसार एक समय ब्रह्मा जी को यज्ञ करना था, उसके लिए उपयुक्त स्थान का चयन करने के लिए ब्रह्मा जी ने प्रथ्वी पर अपने हाथ से एक कमल पुष्प को गिराया, यह पुष्प अरावली पहाडियों के मध्य गिरा और लुढकते हुए दो स्थानों को स्पर्श करने के बाद तीसरे स्थान पर ठहर गया. जिन तीन स्थानों को पुष्प ने प्रथ्वी को स्पर्श किया, वहां जलधारा फूट पडी और पवित्र सरोवर बन गए | सरोवरों की रचना एक पुष्प से हुई, इसलिए इन्हें पुष्कर कहा गया | प्रथम सरोवर कनिष्ठ पुष्कर, द्वितीय सरोवर मध्यम पुष्कर कहलाया एवं जहां पुष्प ने विराम लिया वहां एक सरोवर बना, जिसे ज्येष्ठ पुष्कर कहा गया(ज्येष्ठ पुष्कर के देवता ब्रह्माजी, मध्य पुष्कर के श्री विष्णुजी और कनिष्ठ पुष्कर के देवता रुद्र हैं)।
अन्य मान्यताओं के मुताबिक योगीराज श्रीकृष्ण ने पुष्कर में दीर्घकाल तक तपस्या की थी। सुभद्रा के अपहरण के बाद अर्जुन ने पुष्कर में विश्राम किया था। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर में किया था।

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
तीर्थराज पुष्कर अरावली पर्वत श्रृंखला का नाग पर्वत अजमेर और पुष्कर को अलग करता है सृष्टि के रचियता ब्रह्माजी की यज्ञस्थली और ऋषियों की तपस्या स्थली तीर्थगुरु पुष्कर नाग पहाड़ के बीच बसा हुआ है। पुष्कर मे अगस्तय, वामदेव, जमदाग्नि, भर्तृहरि इत्यादि ऋषियों के तपस्या स्थल के रूप में उनकी गुफाएँ आज भी नाग पहाड़ में हैं। पुष्कर, कुरुक्षेत्र, गया, हरिद्वार और प्रयाग को पंचतीर्थ कहा गया है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार तीर्थो के गुरु पुष्कर की महत्ता इससे ही स्पष्ट हो जाती है कि पुष्कर स्नान के बिना चारों धाम की यात्रा का पुण्य फल भी अधूरा रहता है। 52 घाटों में गऊघाट, वराहघाट,वीर गुर्जर घाट, ब्रह्मघाट, जयपुर घाट प्रमुख हैं। जयपुर घाट से सूर्यास्त का नजारा अत्यंत अद्भुत लगता है। विदेशी पर्यटकों को यह दृश्य बेहद भाता है। झील के बीचोंबीच छतरी बनी है।
पस्तुतिकर्ता——–डा.जे.के.गर्ग

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