इन्दिरा गाँधी को उनकी जन्म शताब्दी वर्ष के प्रारम्भ पर श्रद्धा के पुष्प—भाग 1

indira-gandhiभारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में इंदिराजी ने अपनी प्रतिभा और राजनीतिक दृढ़ता से ‘विश्वराजनीति’ के इतिहास में अपना नाम सदा के लिये स्वर्ण अक्षरों से अंकित कर दिया । अपने फौलादी व्यक्तित्व और सकारात्मक दृष्टिकोण की वजह से उन्हें आयरन लेडी ऑफ़ वर्ल्ड में शामिल किया जाता है और संसार में उनका नाम आदर के साथ सबसे ताकतवर महिलाओं की श्रेणी में लिया जाता है | इंदिरा गाँधी लगातार तीन बार यानि 1966 से 1977 और फिर चौथी बार म्रत्यु तक 1980 से 31 दिसम्बर 84 तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं ।
इंदिरा के पिता नेहरूजी का अधिकांश समय जेल और स्वाधीनता के आंदोलनों में ही बीतता था | अपने परिवार के संस्कारों से प्रभावित होकर बचपन में ही इंदिरा ने क्रांतिकारियों और आंदोलनकारियों की सहायता करने के उद्देश्य से अपने हम उम्र बच्चों और मित्रों के सहयोग से ‘वानर सेना’ का गठन किया | भारत छोडो आन्दोलन के समय सितम्बर 1942 में 23 वर्षीय इन्दिराजी को गिरफ्तार कर लिया गया | 1965 के भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय इन्दिराजी सेन्य अधिकारियों की चेतावनी के बावजूद घायलों की देखभाल करने एवं सैनिकों के उत्साहवर्धन हेतु युद्ध क्षेत्र में पहुंच गई |

अपने राजनैतिक कार्यकाल में उन्होंने कई बड़े फेसले किये | इंदिराजी ने देश के महत्त्वपूर्ण 14 बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया ताकि बैंक सरकार की आर्थिक नीति के अनुसार आचरण कर सकें, राष्ट्रीयकरण के बाद सामाजिक प्रगति के काम प्रारम्भ होने लगे। मध्यम वर्ग तथा अल्प मध्यम वर्ग के लोगों को रोज़गार परक ऋण मिलने का मार्ग साफ़ हो गया।

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
इंदिरा गाँधी ने अगस्त 1970 में भूतपूर्व राजा-महाराजाओं को जो बड़ी राशि प्रीविपर्स के रूप में मिलती आ रही थी, उसकी समाप्ति की घोषणा कर दी। इंदिराजी ने भूमि हदबंदी योजना को पूरी शक्ति के साथ लागू किया गया। इससे ग़रीब किसानों को अच्छा लाभ मिला। इंदिरा गाँधी ने ‘ग़रीबी हटाओं’ के नारे के साथ समाजवादी सिद्धांतों के अनुरुप चुनावी घोषणा पत्र तैयार कराया ‘ग़रीबी हटाओ’ का नारा लोकप्रिय साबित हुआ। उनके पूर्ववर्ती लोकहित कार्यों की पृष्ठभूमि ने भी चमत्कारी भूमिका निभाई। इन क़दमों के कारण जनता के मध्य इंदिरा गाँधी की एक सुधारवादी प्रधानमंत्री की छवि क़ायम हुई और उनकी लोकप्रियता का ग्राफ़ शिखर पर पहुंच गया ।
प्रस्तुत कर्ता—–डा.जे.के.गर्ग
सन्दर्भ—-विभिन्न पत्र –पत्रिकायें, मेरी डायरी पन्ने आदि
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