नकारामक सोच एवं नकारात्मकता—Part 2

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
आदमी के नकारात्मक विचार उसकी नया सीखने व नए संसाधन जोड़ने की क्षमता को कम करती हैं। जब व्यक्ति में नकारात्मकता का स्तर अधिक होगा तब वह नए काम को सीख नहीं पाएगा, उसे केरियर में सफलता नहीं मिलेगी, उसके सामाजिक संबंध भी मजबूत नही बन पायेगें | इस तरह वह विकास की ओर नहीं बढ़ पाएगा। वस्तुतः नकारात्मक सोच स्पष्ट रूप से आदमी के व्यवहार में झलकती है। सवाल उठता है कि नकारात्मक सोच के मुख्य कारण कोन कोनसे होते हैं | दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं। एक वे जो कहते हैं कि” मै यह कामनहीं कर सकता हूँ” वहीं दुसरी श्रेणी के लोग कहते हैं कि “मै यह काम कर सकता हूँ” I प्रथम श्रेणी के लोगों के लिये किसी भी चैलेंज को स्वीकार करना या लाइफ में रिस्क लेना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे लोग अपने एवं दूसरों के कार्यों, व्यवहारों से हमेशा नाखुश या असंतुष्ट रहते हुये अपने काम करने में पूरा ध्यान नहीं देते हैं। ऐसे लोग हमेशा ग्लानि में रहकर सोचते हैं कि मैं कुछ नहीं कर सकता। ऐसे लोग दूसरों से तो सम्मान की यह अपेक्षा रखते किन्तु खुद दूसरों का सम्मान नहीं करते हैं | जीवन में छोटी मोटी अपेक्षायें पूरी न होने पर स्वयं को अपमानित महसूस करते हैं। नकारात्मक सोच वाला आदमी दूसरों में केवल उनके दोष और उनके नकारात्मक पहलू को देखता है । अपने से ज्यादा योग्य व्यक्ति को देख कर उससे ईर्ष्या करना, उसकी बुराई करना एवं अपने आप को असुरक्षित महसूस करना उनकी आदत बन जाती है। अपने अहंकार और अभिमान को स्वाभिमान बता कर अपने बढ़बोलेपन का प्रदर्शन करना। अपनी आलोचना सहन न कर पाना किन्तु दुसरे लोगो उनके दुवारा सही आलोचना करने पर भी उनसे से झगडा करना। जीवन में प्राप्त अच्छे परिणामों के लिए तो खुद को श्रेय देना किन्तु गलत परिणामों के लिए ईश्वर या दूसरों को दोष देना, आदि आदि।

मनोवैज्ञानिक प्रो. सुजेन ने छात्रों पर किए अपने अध्ययन में निष्कर्ष निकला कि नकारात्मक विचार रखने वाले छात्रों की इम्यूनिटी कम होती है, वहीं आशावादी दृष्टिकोण से शरीर की ताकत बढ़ती है। सकारात्मकता ही सोचने-समझने की क्षमता को बढ़ाती है। वॉरसॉ स्कूल ऑफ़ सोशल साइकोलॉजी ने एक शोध में निष्कर्ष निकाला कि नकारात्मक मन और भावनाएं इन्सान की आवश्यकताओं की पूर्ति, आदर्श, और उनकी सकारात्मक भावनाओं में कमी लाती हैं।
प्रस्तुतिकरण—-डा. जे. के. गर्ग
सन्दर्भ—– मेरी डायरी के पन्नें, विभिन्न पत्रपत्रिकायें,अभिषेक कांत पाण्डेय, डा. के.वी आनन्द आदि
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