फादर्स डे पर शत् शत् नमन

*आज फादर्स डे पर मेरे स्वर्गीय पिताश्री टी. सी. तेजवानी के चरणों में शत् शत् नमन।*
t c tejwani 2मित्रों, इस पुनीत मौके पर एक बात शेयर करना चाहता हूं। आपने ईमानदारी के किस्से सुने होंगे, वाकयात देखे होंगे, मैने जीये हैं। पिताश्री अत्यंत ईमानदार थे। चरम सीमा तक। जब वे पुनाली, डूंगरपुर में सेकंडरी स्कूल के प्रधानाचार्य थे, तब एक बार स्कूल के बगीचे से नीबू तोड़ कर चपरासी घर दे गया। घर आने पर उन्हें पता लगा तो तुरंत उसे बुलवाया और बुरी तरह से डांट कर नीबू ले जाने व आइंदा इस प्रकार की हरकत न करने की हिदायद दे दी। ईमानदार आदमी आर्थिक रूप से कितना तंग होता है, इसका अंदाजा लगाइये। नागौर में वे सीनियर डिप्टी इंस्पैक्टर थे। जब उनका माह के आखिरी सप्ताह में 24 अप्रैल 1983 को निधन हुआ तो घर पर उनके अंतिम संस्कार तक के लिए रुपए नहीं थे। कल्पना कीजिए उन गजेटेड अधिकारी के आदर्श का कि कैसे कोरी तनख्वाह से परिवार का गुजारा किया करते थे कि माह के आखिरी दिनों में घर पर कुल जमा दो सौ रुपए ही थे। उस वक्त मेरे एक बुजुर्ग मित्र श्री गंगाराम जी ने रुपए उधार दिए, तब जा कर अंतिम संस्कार हो पाया। केवल ईमानदारी ही नहीं, उच्च आदर्शों के अनेकानेक प्रसंग मुझे अब तक याद हैं। वे ही मेरे आदर्श, मेरे गुरू, मेरे भौतिक भगवान हैं। आज जबकि महात्मा गांधी को राजनीति के कारण विवादास्पद किया जा चुका है, मैने उनके जीवन में गांधीवाद के साक्षात दर्शन किए। उनके चरणों में बारम्बार नमन्।

तेजवानी गिरधर

error: Content is protected !!