जिस दिन सारा देश जगेगा ,
आरक्षण का भूत भगेगा ,
नीर – क्षीर मूल्यांकन होगा ,
प्रतिभा सिर्फ कसौटी होगी ,
तभी दिवाली मेरी होगी ।
कोई भूखा नहीं रहेगा ,
तन ढकने को वस्त्र मिलेगा ,
सबको घर , सबमें शौचालय ,
मूलभूत सुविधाएँ होगी ,
तभी दिवाली मेरी होगी ।
निर्भयता का दीप जलेगा ,
दुष्ट किसी को नहीं छलेगा ,
मुक्ति मिलेगी पाखंडों से ,
हर बेटी निर्भीक रहेगी ,
तभी दिवाली मेरी होगी ।
सबके अपने धर्म – पंथ है ,
सबके अपने धर्म- ग्रंथ है ,
करें अनादर कभी किसी का ,
नहीं किसी को छूट मिलेगी ,
तभी दिवाली मेरी होगी ।
– नटवर पारीक
9414548148