जानिये दिन में नेप मैनेजमेंट की उपयोगिता Part 2

जानिये हैं कितनी देर की नैप से क्या फायदा मिल सकता है ?

स्लीपसाइकल 90 मिनट के पैटर्न पर चलता है। यह गहरी नींद में ले जाता है। अधिकतर लोगों का रात का स्लीपसाइकल 4 से 6 घंटे का होता है। दिन में 90 मिनट की नैप रात के पूरे स्लीप साइकल के बराबर उपयोगी होती है।

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
एक शोध के अनुसार 52 प्रतिशत कर्मचारी काम के दौरान अक्सर विचलित हो जाते हैं और अपने काम पर वांछित फोकस नहीं कर पाते हैं जिससे वह गलतियां करने लगते हैं और वो सहज भी नहीं रहते हैं । अमेरिका के नेशनल स्लीप फाउंडेशन का कहना है कि 20 से 30 मिनट की एक छोटी-सी नैप अलर्टनेस बढ़ाती है और इससे काम का स्तर भी सुधरता है। दोपहर के समय कार्य कर्मियों का ऊर्जा का स्तर अक्सर कम होने लगता है, इस अवस्था मे नैप आपको फिर सक्रिय बना सकती है | नैप लेना एक तरह से सिस्टम रिबूट करने की तरह होता है। इससे भावनाएं काबू में आती हैं और मस्तिष्क की कार्यशीलता भी ठीक होते हैं। स्लीपसाइकल 90 मिनट के पैटर्न पर चलता है। यह गहरी नींद में ले जाता है। अधिकतर लोगों का रात का स्लीप साइकल 4 से 6 घंटे का होता है। दिन में 90 मिनट की नैप रात के पूरे स्लीप साइकल के बराबर उपयोगी होती है।
टेक नैप चेंज योर लाइफ नाम की किताब लिख चुकीं डॉ सारा सी मेडनिक कहती हैं कि नैपिंग से स्वाद, सुनने और देखने की इंद्रियों की क्षमता बेहतर होती है। नैपिंग से क्रिएटिविटी भी बढ़ती है और इससे दिमाग रिलेक्स होता है। न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार नैपिंग से दिमाग में नए कनेक्शन बनते हैं।
न्यूयॉर्क की सिटी यूनिवर्सिटी के शोध के अनुसार नैपिंग से दिमाग में नए कनेक्शन बनते हैं।
2007 में आर्काइव ऑफ इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार नैप लेने से दिल की बीमारी का खतरा कम हो जाता है। जो लोग हफ्ते में तीन बार भी नैप लेते हैं, उनमें हार्ट डिसीज का खतरा 37 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
नैप आपको अधिक प्रोडक्टिव बनाती है। असल में कहा जाता है कि अधिक प्रोडक्टिव होने का रहस्य समय को मैनेज करना तो है ही, बल्कि इससे ज्यादा अहम है अपनी एनर्जी को बनाए रखना। 2002 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में किये गये एक अध्यन के अनुसार दिन में 30 मिनट के नैप से कर्मचारियों के काम के स्तर में सुधार पाया गया, 30 मिनिट की नैप से प्रोडक्टिविटी का स्तर वैसा ही हो जाता है जैसा दिन के शुरू में था।

संकलनकर्ता—–डा. जे.के.गर्ग, सन्दर्भ—-डॉ सारा सी मेडनिक की पुस्तक टेक नैप चेंज योर लाइफ, आर्काइव ऑफ इंटरनल मेडिसिन, अमेरिका की नेशनल स्लीप फाउंडेशन, हार्वर्डमेडिकल स्कूल के डॉ रसेल साना एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकायें आदि

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