बसंत पंचमी

डा. जे.के.गर्ग
बसंत पंचमी श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है । यह पर्व हिन्दू कलेंडर के माघ शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है | इस वर्ष 10 फरवरी 2019 को बसंत पंचमी का पर्व सोहार्द और उल्लास के साथ मनाया जाएगा |
भारतवर्ष में वर्ष को 6 ऋतूओ में बाँटा जाता है यथा वसंत , ग्रीष्म ,वर्षा , शरद , हेमंत और शिशिर ऋतू शामिल है | इन सभी ऋतूओ में से वसंत को सभी ऋतूओ का राजा माना गया है | बसंत पंचमी के दिन से ही बसंत ऋतु प्रारम्भ होती है | बसंत ऋतू का बहुत अत्यधिक महत्व है | सर्दी के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है | इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ , आम के पेड़ पर आए फूल , चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठण्ड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है , यदि सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो यह मौसम बहुत अच्छा होता है | इंसानों के साथ-साथ पशु पक्षियों में नई चेतना का संचार होता है , इस ऋतू को कामबाण के लिए भी अनुकूल माना जाता है | हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक इसी दिन विद्या एवम् बुद्धि की देवी माता सरस्वती का जन्म हुआ था। इसीलिये बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करके उनसे जीवन में विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान प्राप्ति का वरदान मांगा जाता है । इस दिन लोगों पीले रंग के कपडे पहनते और पीले फूलो से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं,पतगं बाजी करते हैं और पीले रंग के चावल का सेवन करते है |
पुराणिक मान्यताओं के अनुसार सृष्टि रचियता ब्रह्माजी ने जीवो और मनुष्यों की रचना की थी , ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे निहारने लगे तो ब्रह्माजी संसार में चारों ओर सुनसान निर्जन ही दिखाई दिया और उनको वहां का वातावरण बिलकुल शांत लगा जैसे किसी के पास कोइ वाणी ही ना हो | यह सब करने के बाद भी ब्रह्मा जी मायूस , उदास और संतुष्ट नहीं थे | तब ब्रह्मा जी भगवान् विष्णु जी से आज्ञा लेकर अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिडका , कमंडल से धरती पर गिरने वाले जल से पृथ्वी पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी स्त्री प्रकट हुयी उस देवी के एक हाथ में वीणा और दुसरे हाथ में वर मुद्रा थी बाकी अन्य हाथो में पुस्तक और माला थी | ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया , देवी के वीणा बजाने के साथ ही संसार के सभी जीव-जंतुओ को वाणी प्राप्त को गयी | उसी क्षण ब्रम्हाजी ने उस स्त्री को “सरस्वती” कहा और उनको वाणी के साथ-साथ विद्या और बुद्धि भी दी | देवी सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है । मान्यताओं के मुताबिक भगवान राम वसंत पंचमी के दिन शबरी के आश्रम पर आये थे और शबरी के झूटे बैर खाये थे | बसंत पंचमी के साथ कुछ इतिहासिक महत्व की घटनायें भी जुडी हुयी है | कुका पंथ के प्रवर्तक गुरु राम सिंह का जन्म भी 1816 में वसंत पंचमी के दिन हुआ था | राजा भोज का जन्म दिन भी संत पंचमी को ही आता हैं। राजा भोज इस दिन एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रतिभोज रखा जाता था जो चालीस दिन तक चलता था |
बसंत पंचमी के दिन को बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के आरंभ करने के लिए शुभ माना गया हैं। इस दिन बच्चे की जीभ पर शहद से ॐ बनाना चाहिए। माना जाता है कि इससे बच्चा ज्ञानवान होता है व शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है । बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है इसके साथ-साथ गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है ।
गुनगुनी धूप, स्नेहिल हवा, सुहाने मौसम का नशा प्रेम की अग्नि को प्रज्वलित करता है । बसंत ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अंगड़ाई लेता है। दरअसल वसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है।

प्रस्तुतिकरण —–डा. जे. के. गर्ग

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