जैन धर्म के जिनवर व्रत आज से

आज यानी 19 मई से जेठ का महीना शुरू हो रहा है। जैन समुदाय के ज्येष्ठ जिनवर व्रत आज से शुरू होंगे। ज्येष्ठ जिनवर व्रत ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से प्रारंभ होकर आषाढ़ कृष्णा प्रतिपदा को समाप्त होता है। इसमें प्रथम ज्येष्ठ वदी प्रतिपदा को प्रोषध किया जाता है। इसके बाद कृष्ण पक्ष के शेष 14 दिन एकासन करते हैं। पुन: ज्येष्ठ सुदी प्रतिपदा को उपवास और शेष 14 दिन एकासन या आषाढ़ वदी प्रतिपदा को उपवास कर व्रत की समाप्ति की जाती है।

करें भगवान आदिनाथ का अभिषेक
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ज्येष्ठ जिनवर व्रत में मिट्टी के पाँच कलशों से प्रतिदिन भगवान आदिनाथ का अभिषेक करना चाहिए। ‘ह्रीं श्रीज्येष्ठजिनाधिपतये नम: कलशस्थापनं करोमिÓ इस मंत्र को पढ़कर कलशों की स्थापना की जाती है। पाँच कलशों में से चार कलशों द्वारा अभिषेक स्थापन के समय ही किया जाता है और एक कलश से जयमाल पढऩे के अनन्तर अभिषेक होता है। इस व्रत में ज्येष्ठ जिनवर की पूजा की जाती है। ‘ह्रीं श्रीऋषभजिनेन्द्राय नम: इस मंत्र का जाप करना होता है। ज्येष्ठ मास भर तीनों समय सामायिक करना, ब्रह्मचर्य का पालन एवं शुद्ध और अल्प भोजन करना आवश्यक है।

Rajendra gupta
Patrika, Hubli (Karnataka)
Mobile – 9611312076, 7976009175

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