जैन श्रद्धालु आज रखेंगे रोहिणी व्रत

जानें- यह व्रत करने से कैसे दूर होती है गरीबी ?
=================================
आज यानी 1 जुलाई को जैन श्रद्धालु रोहिणी व्रत रखेंगे। हमारे देश में यूं तो सभी धर्म एवं जातियों के लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार अपने त्यौहार मनाते हैं। इसी प्रकार जैन धर्म ने रोहिणी व्रत मनाने की परंपरा बहुत पुरानी है l जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। 27 नक्षत्रों में शामिल रोहिणी नक्षत्र के दिन यह व्रत किया जाता है। इसलिए इसे रोहिणी व्रत के नाम से पुकारते हैं। रोहिणी नक्षत्र साल के हर माह में अपने चक्रानुसार आता है। जैन धर्म के लोग इस दिन इस भगवान वासुपूज्य की विधि-विधान से पूजा- अर्चना करते हैं। पति की लंबी उम्र की कामना के लिए बड़ी संख्या में महिलाएं इस व्रत को रखती हैं। साथ ही इस व्रत को करने से क्लेश दूर होकर घर में धन -समृद्धि आती है। ‘रोहिणी’ जैन और हिन्दू कैलेंडर के 27 नक्षत्रों में से एक है। नियमों के अनुसार रोहिणी व्रत उस दिन रखा जाता है जब रोहिणी नक्षत्र, सूर्योदय के बाद प्रबल होता है। माना जाता है रोहिणी व्रत करने से सभी दुःख और गरीबी दूर हो जाती है।

रोहिणी व्रत तिथि व इसका महत्त्व
——————————————
सत्ताईस नक्षत्रों में से रोहिणी एक नक्षत्र हैं। जब रोहिणी नक्षत्र सूर्योदय के बाद प्रबल होता हैं। उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता हैं। यह दिवस प्रतिमाह 27 दिनों के बाद आता है, इस प्रकार रोहिणी व्रत वर्ष में बारह – तेरह बार मनाया जाता हैं।
नियमानुसार रोहिणी व्रत 3 वर्ष, 5 वर्ष अथवा 7 वर्ष तक नियमित किया जाता है, उसके बाद इस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता हैं। मान्यता है कि इस उपवास का पालन करने से दुःख तकलीफ एवम परेशानियों से छुटकारा मिलता है।
जैन धर्म में रोहिणी व्रत महिलाओं द्वारा किया जाता हैं, जिसे वे अपने परिवार की खुशहाली एवम पति की लम्बी उम्र के लिए करती हैं, विधि अनुसार 5 वर्ष 5 महीने तक रोहिणी व्रत का पालन करना अच्छा माना जाता है।
जैन धर्म में व्रतों को आत्‍मशुद्धि का सबसे अच्‍छा उपाय माना जाता है, जो आत्‍मा के विकारों को दूर कर कर्म बंध से छुटकारा दिलाने में सहायक होते हैं। ऐसी मान्यता है कि यह व्रत महिलाओं द्वारा अपने पति की लम्बी उम्र के लिए किया जाता है। साथ ही मां रोहिणी जातक के घर से कंगाली को दूर भगाकर सुख एवं समृद्धि की वर्षा करें, ऐसी कामना भी की जाती है। व्रत की पूजा के दौरान जातक मां से यह प्रार्थना करता है उसके द्वारा की गई सभी गलतियों को वे माफ करें और उसके जीवन में बने सभी कष्टों का हरण करें। इस व्रत के दौरान पूरे दिन भूखा रहना होता है।

रोहिणी व्रत कथा
=============
प्राचीन समय में चंपापुरी नामक नगर में राजा माधवा अपनी रानी लक्ष्‍मीपति के साथ राज करते थे, उनके सात पुत्र एवं एक रोहिणी नाम की पुत्री थी। एक बार राजा ने निमित्‍तज्ञानी से पूछा, कि मेरी पुत्री का वर कौन होगा ? उन्‍होंने कहा, कि हस्तिनापुर के राजकुमार अशोक के साथ तेरी पुत्री का विवाह होगा।
यह सुनकर राजा ने स्‍वयंवर का आयोजन किया, जिसमें कन्‍या रोहिणी ने राजकुमार अशोक के गले में वरमाला डाली और उन दोनों का विवाह संपन्‍न हुआ। एक समय हस्तिनापुर नगर के वन में श्री चारण मुनिराज आये, राजा अपने प्रियजनों के साथ उनके दर्शन के लिए गया और प्रणाम करके धर्मोपदेश को ग्रहण किया। इसके पश्‍चात् राजा ने मुनिराज से पूछा, कि मेरी रानी इतनी शांतचित्त क्‍यों है ?
तब गुरूवर ने कहा, कि इसी नगर में वस्‍तुपाल नाम का राजा था और उसका धनमित्र नामक एक मित्र था। उस धनमित्र की दुर्गंधा कन्‍या उत्पन्‍न हुई। धनमित्र को हमेशा चिंता रहती थी, कि इस कन्‍या से कौन विवाह करेगा, धनमित्र ने धन का लोभ देकर अपने मित्र के पुत्र श्रीषेण से उसका विवाह कर दिया। लेकिन अत्‍यंत दुर्गंध से पीडि़त होकर वह एक ही मास में उसे छोड़कर कहीं चला गया।
इसी समय अमृतसेन मुनिराज विहार करते हुए नगर में आये, तो धनमित्र अपनी पुत्री दुर्गंधा के साथ वंदना करने गया और मुनिराज से पुत्री के भविष्य के बारे में पूछा। उन्‍होंने बताया, कि गिरनार पर्वत के निकट एक नगर में राजा भूपाल राज्‍य करते थे। उनकी सिंधुमती नाम की रानी थी।
एक दिन राजा रानी सहित वनक्रीड़ा के लिए चले, सो मार्ग में मुनिराज को देखकर राजा ने रानी से घर जाकर मुनि के लिए आहार व्यवस्था करने को कहा। राजा की आज्ञा से रानी चली तो गई, परंतु क्रोधित होकर उसने मुनिराज को कडुवी तुम्‍बीका आहार दिया, जिससे मुनिराज को अत्‍यंत वेदना हुई और तत्‍काल उन्‍होंने प्राण त्‍याग दिये।
जब राजा को इस विशेष में पता चला, तो उन्‍होंने रानी को नगर में बाहर निकाल दिया और इस पाप से रानी के शरीर में कोढ़ उत्‍पन्‍न हो गया। अत्‍यधिक वेदना व दुख को भोगते हुए वो रौद्र भावों से मर के नर्क में गई। वहाँ अनन्‍त दुखों को भोगने के बाद पशु योनि में उत्‍पन्न और फिर तेरे घर दुर्गंधा कन्‍या हुई।
यह पूर्ण वृतांत सुनकर धनमित्र ने पूछा – कोई व्रत विधानादि धर्मकार्य बताइये जिससे यह पातक दूर हो, तब स्वामी ने कहा – सम्‍यग्दर्शन सहित रोहिणी व्रत पालन करो, अर्थात् प्रति मास में रोहिणी नामक नक्षत्र जिस दिन आये, उस दिन चारों प्रकार के आहार का त्‍याग करें और श्री जिन चैत्‍यालय में जाकर धर्मध्‍यान सहित सोलह प्रहर व्‍यतीत करें अर्थात् सामायिक, स्‍वाध्याय, धर्मचर्चा, पूजा, अभिषेक आदि में समय बितावे और स्‍वशक्ति दान करें। इस प्रकार यह व्रत 5 वर्ष और 5 मास तक करें।
दुर्गंधा ने श्रद्धापूर्वक व्रत धारण किया और आयु के अंत में संयास सहित मरण कर प्रथम स्‍वर्ग में देवी हुई। वहाँ से आकर तेरी परमप्रिया रानी हुई। इसके बाद राजा अशोक ने अपने भविष्य के बारे में पूछा, तो स्‍वामी बोले – भील होते हुए तूने मुनिराज पर घोर उपसर्ग किया था।
सो तू मरकर नरक गया और फिर अनेक कुयोनियों में भ्रमण करता हुआ एक वणिक के घर जनम लिया, सो अत्‍यंत घृणित शरीर पाया, तब तूने मुनिराज के उपदेश से रोहिण व्रत किया। फलस्‍वरूप स्वर्गों में उत्‍पन्‍न होते हुए, यहाँ अशोक नामक राजा हुआ।
इस प्रकार राजा अशोक और रानी रोहिणी, रोहिणी व्रत के प्रभाव से स्‍वर्गादि सुख भोगकर मोक्ष को प्राप्‍त हुए. इसी प्रकार अन्‍य जीव भी श्रद्धासहित यह व्रत पालन करेंगे , तो वे भी उत्‍तमोत्तम सुख पाएंगे।

रोहिणी व्रत की कैसे की जाती है पूजा?
=======================
इसके लिए महिलायें प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करती हैं साथ ही पवित्र होकर पूजा करती हैं.
इस व्रत में भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती हैं।
वासुपूज्य देव की आराधना करके नैवैद्य लगाया जाता है।
रोहिणी व्रत का पालन रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक चलता हैं।
रोहिणी व्रत के दिन गरीबों को दान देने का भी महत्व होता है।

रोहिणी व्रत की उद्यापन विधि
—————————————
यह व्रत एक निश्चित काल तक ही किया जाता हैं इसका निर्णय व्रती स्वयं लेता हैं. मानी गई व्रत अवधि पूरी होने पर इस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता हैं. इस व्रत के लिए 5 वर्ष 5 माह की अवधि श्रेष्ठ कही जाती है।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076, 7976009175
नोट- अगर आप अपना भविष्य जानना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मोबाइल नंबर पर कॉल करके या what’s app पर मैसेज भेजकर पहले शर्तें जान लेवें, इसी के बाद अपनी बर्थ डिटेल और हैंडप्रिंट्स भेजें।

error: Content is protected !!