मेनेजमेंट के देवता देवों के देव गणेशजी Part 3

डा. जे.के.गर्ग
हाथी का सिर—- कहावत है कि “ बड़ा सिर सरदार और बड़ा पांव गवांर का “ गणपति का बड़ा सिर खुशहाल जीवन जीने के लिये इंसान के अन्दर मोजूद असीमित बुद्धीमता का प्रतीक है, वहीं विनायकके बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति के प्रतीक हैं | गजानन लंबोदर हैं क्योंकि समस्त चराचर सृष्टि उनके उदर में विचरती है। बड़े कान अधिक ग्राह्यशक्ति व छोटी-पैनी आँखें सूक्ष्म-तीक्ष्ण दृष्टि की सूचक हैं। गजकर्णक की लंबी नाक (सूंड) महाबुद्धित्व का प्रतीक है। गणेश के पास हाथी का सिर, मोटा पेट और चूहा जैसा छोटा वाहन है किन्तु इन सबके बावजूद गणेशजी विघ्नविनाशक, संकटमोचक एवं गणाध्यक्ष भी कहलाते हैं क्योंकि गणपति ने अपनी कमियों को कभी अपना नकारात्मक पक्ष नहीं बनने दिया बल्कि उनको अपनी ताकत बनाया।

एक दंत: अच्छाई और अच्छों को अपने पास रक्खो वहीं बुराई और बुरों का साथ तुरंत छोड़ दो | गणेशजी के बाई तरफ का दांत टूटा है | इसका एक अर्थ यह भी है कि मनुष्य का दिल बाई और होता है, इसलिए बाई और भावनओं का उफान अधिक होता है, जबकि दाई और बुद्धीपरक होता है | बाई और का टूटा दांत इस बात का प्रतीक है कि मनुष्य को हमेशा अपनी भावनओं पर बुद्धी और विवेक से नियन्त्रण रखना चाहिए |

छोटी आँखें: गणेशजी की छोटी-पैनी आँखें हमें सिखाती है कि हमें सूक्ष्म एवं तीक्ष्ण दृष्टि वाला बनना चाहिये। सफलता प्राप्ति के लिये आदमी को एकाग्र चित्त बन कर अपना ध्यान हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रखते हुए अपने मन पर नियन्त्रण रखना चाहिये और मन को इधर उधर भटकने से रोकना चाहिये |

प्रस्तुतिकरण—डा.जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—- मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र पत्रिकाये संतो के प्रवर्चन आदि ,Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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