मेनेजमेंट के देवता देवों के देव गणेश Part 4

डा. जे.के.गर्ग
बड़ा पेट: विघ्ननाशक गणेशजी का बड़ा पेट हमें सिखाता है कि मनुष्य को अच्छी बुरी सभी बातों-भावों को समान भाव से ग्रहण करना चाहिये, उन्हें समान भाव से लेना चाहिये | दुसरे शब्दों में गणेशजी का बड़ा पेट मनुष्य को उदार आदतों का धनी बनने की सीख देता है | जीवन में कुछ बातों को पेट में पचा लेना चाहिये | धीर और गम्भीर पुरुषों का समाज में सम्मान होता है |

क्यों सिर्फ माता पिता के चरणों में ही बसता है समस्त संसार ?

एक बार देवता अनेकों विपदाओं में घिरे हुए थे, तब वे मदद मांगने भगवान शिव के पास आए। देवताओं की बात सुनकर शिवजी के दोनों पुत्रों कार्तिकेय व गणेशजी ने शिवजी से देवताओं की मदद करने आज्ञा मागीं तब भगवान शिव ने दोनों की परीक्षा लेते हुए कहा कि तुम दोनों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके आएगा वही देवताओं की मदद करने जा सकेगा । भगवान शिव के मुख से यह वचन सुनते ही कार्तिकेय तो अपने वाहन मोर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए। किन्तु गणेशजी सोच में पड़ गए कि वह चूहे के ऊपर चढ़कर सारी पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे तो इस कार्य में उन्हें बहुत समय लग जाएगा। तभी गणेशजी को एक उपाय सूझा। गणेश अपने स्थान से उठें और अपने माता-पिता की सात बार परिक्रमा करके वापस बैठ गए। परिक्रमाकर के लौटने पर कार्तिकेय स्वयं को विजेता बताने लगे। तब शिवजी ने श्रीगणेश से पृथ्वी की परिक्रमा ना करने का कारण पूछा। तब गणेश ने कहा – ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक हैं। हैं।’ भगवान शिव ने गणेश को विजेता घोषित करके कहा कि वास्तविकता में ‘माता-पिता के चरणों में ही समस्त लोक वास करते हैं।

उपरोक्त तथ्यों से स्पष्ट है कि देवों के देव गणेश पूज्यनीय तो है ही किन्तु वर्तमान परिपेक्ष में उन्हें मेनेजमेंट गुरु भी कहा जा सकता है क्यों कि अपनी आक्रति और अगं अंग से जीवन को सुखमय बनाने का मन्त्र भी देते हैं |

प्रस्तुतिकरण—डा.जे. के. गर्ग, सन्दर्भ—- मेरी डायरी के पन्ने, विभिन्न पत्र पत्रिकाये संतो के प्रवर्चन आदि ,Visit our Blog—-gargjugalvinod.blogspot.in

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