देश को एकता के सूत्र में बांधने लोह पुरष सरदार वल्लभभाई पटेल Part 1

dr. j k garg
स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल की वजह से ही खेडा और बारडोली का सत्याग्रह संघर्ष हुआ था | किसानों के हित में लडाई लड़ने के लिये ही वल्लभ भाई ने अपनी जमी जमाई वकालत को छोड़ कर इन आंदोलनों में किसानों को अग्रेजों को कोंई भी टेक्स नहीं देने के लिये प्रेरित किया | आन्दोलन की वजह से सरकार ने टेक्स में भारी कमी की | बारडोली के किसानों के हित में लडाई लड़ने के लिये उन्हें बारडोली का सरदार कहा गया और कालान्तर में वल्लभभाई को केवल सरदार कहा जाने लगा | सरदार ने यह भी कहा कि मेरे लिये पद की कोई अहमियत नहीं है, मेरे लिये राष्ट्र हित ही सर्वोपरि है | सरदार पटेल ने कहा कि मुसलमान अपनी जगह पर रहे, हिन्दू अपनी जगह पर | जो जैसा चाहे अपना मजहब और खुदा मान लें | उसमें कोई झगड़ा नहीं करना | इस मुल्क में रहने वाला हर इन्सान हिन्दुस्तानी है| यहाँ कोई गेर नहीं है | गांधीजी की हत्या के बाद पटेल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ( RSS) को प्रतिबंधित कर दिया था |

आजादी के बाद भारत को एक एकीकृत राष्ट्र के निर्माण में सरदार का अमूल्य योगदान रहा था | वल्लब भाई का जन्म 31 अक्तूबर 1875 को हुआ था और उनका निधन 75 वर्ष की आयु में 15 दिसंबर 1950 को हुआ था | संयोगवश नेहरूजी और सरदार पटेल का निधन 75 वर्ष की ऊम्र में ही हुआ था | सरदार 1931 मे कराची में कांग्रेस के अध्यक्ष बने | पटेल भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं ग्रह मंत्री बने |

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