संत रविदास के जीवन में घटित प्रेरणादायक और चमत्कारिक घटनायें Part 2

dr. j k garg
अस्पृश्य होने के बावजूद भी जनेऊ पहनने के कारण ब्राह्मणों की शिकायत पर उन्हें राजा के दरबार में बुलाया गया। वहाँ उपस्थित होकर उन्होंने कहा कि अस्पृश्यों को भी समाज में बराबरी का अधिकार मिलना चाहिये क्योंकि उनके शरीर में भी दूसरों की तरह खून का रंग लाल होता और उनके अंदर भी पवित्र आत्मा होती है | संत रविदास ने तुरंत अपनी छाती पर एक गहरी चोट की और उस पर चार युग जैसे सतयुग, त्रेतायुग, द्वापर और कलयुग की तरह सोना, चाँदी, ताँबा और सूती के चार जनेऊ खींच दिया। राजा समेत सभी लोग अचंभित रह गये और गुरु जी के सम्मान में सभी उनके चरणों को छूने लगे। राजा को अपने बचपने जैसे व्यवहार पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हुयी और उन्होंने इसके लिये माफी माँगी।

रविदास की पिता की मृत्यु के बाद उन्होंने अपने पड़ोसियों से अनुरोध किया की कि वो गंगा नदी के किनारे उनके पिता का अंतिम संस्कार करने मे उनकी मदद करें, वे बोले कि अंतिम संस्कार करने के बाद वो गंगा में स्नान करेगें | ब्रामण समुदाय ने इसका विरोध किया और बोले उनके स्नान करने से नदी का जल प्रदूषित हो जायेगा। रविदास जी दुखी हो गये और बिना स्नान किये अपने पिता की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करने लगे। अचानक से वातावरण में एक भयानक तूफान आया और नदी का पानी उल्टी दिशा में बहना प्रारंभ हो गया और जल की एक गहरी तरंग आयी और लाश को अपने साथ ले गयी। इस बवंडर ने आसपास की सभी चीजों को सोख लिया। तब से, गंगा का पानी उल्टी दिशा में बह रहा है।

संकलनकर्ता एवं प्रस्तुतिकरण—- डा. जे. के. गर्ग, Visit our blog —-gargjugalvinod.blogspot.in

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