फादर्स डे पितृ सम्मान दिवस (21जून 2020 ) पार्ट 2

डा. जे.के.गर्ग
असंख्य ऋषियों, मुनियों, तपस्वियों, पंडितों, महात्माओं, विद्वानों, दर्शनशास्त्रियों, साहित्यकारों और कलमकारों ने भी माता पिता के प्रति पैदा होने वाली अनुभूतियों को कलमबद्ध करने का भरसक प्रयास किया है। सच्चाई तो यही है कि ‘त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव, त्वमेव सर्वमम देव देवः।।’ हमारी संस्क्रति में तीन प्रकार के ऋण यानि राष्ट्रऋण,पित्रऋण और गुरु ऋण का उल्लेख किया जाता है एवं हर इन्सान से यह अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सुक्रत्यों से इन तीनों ऋण से ऊऋण होने का भरपूर प्रयास करें| सच्चाई तो यही है कि बच्चें अपने पिताजी के कर्ज से अपने आपको कभी भी मुक्त नहीं कर सकते हैं | हम सभी को पित्रऋण को चुकाने के लिये हर मुमकिन कोशिश करनी चाहिए तथा अपने पिताजी की सुख-सुविधाओं का ध्यान रख उनकी देख भाल करनी चाहिए | फादर्स डे या पितृ सम्मान दिवस मात्र पिताजी का ही नहीं वरन दादाजी,नानाजी पड दादी-दादाजी,पड नानी-नाजी एवं समस्त पितृ तुल्य स्वजनों,मित्रों एवम् समस्त परिचितों के प्रति सम्मान-आदर व्यक्त्त करने का दिवस है | दुनियांभर में फादर्स डे पर सभी वर्गों के स्त्री-पुरुषयानि युवक-युवतियां,बेटे-बेटियां, प्रोढ़ स्त्री-पुरुष अपने बुजुर्ग पिता और समस्त पितृ तुल्यों के प्रति उनकी सेवाओं,योगदान,मार्गदर्शन को याद कर अपना आभार और क्रतज्ञता व्यक्त्त करते हैं |

डा. जे.के. गर्ग

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