(सामाजिक धार्मिक सद्दभाव एवं सामाजिक क्रांति का माध्यम—रक्षा बंधन) पार्ट 1
महाभारत में भी इस बात का उल्लेख आता है कि एक बार भगवान कृष्ण से युधिष्ठिर ने पूछा कि मैं सभी संकटों का सफलता पूर्वक सामना कर उन संकटों पर किस प्रकार से विजय प्राप्त कर सकता हूँ तब भगवान क्रष्ण ने कहा राखी के रेशमी धागे में वह शक्ति है जिससे पांडव और अपनी हाथ की कलाई पर बन्धवा कर युद्ध में विजय प्राप्त कर सकता है और रेशमी धागा बंधवाने वाला व्यक्ति जीवन में आने वाली हर आपत्ति से मुक्ति पा सकता हैं।
जब भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपालका वध किया तब उनकी तर्जनी अंगुली में चोट आ गई थी तब द्रौपदी ने अविलम्ब अपनी साड़ी फाड़कर भगवान क्रष्ण की उँगली पर पट्टी बाँध दी थी । यह घटना श्रावण मास की पूर्णिमा को घटित हुई थी | उस वक्त भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को वचन दिया कि समय आने पर वे द्रोपदी के आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतारेंगे । कोरवों की राज्यसभा में दुशासन दुवारा सबके सामने द्रोपदी के चीरहरण के समय भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी की रक्षा कर अपने वचन को निभाया था। महाभारत के अन्दर ही द्रौपदी द्वारा कृष्ण को एवं कुन्तीद्वारा अपने पोत्र अभिमन्युको राखी बाँधने का उल्लेख भी मिलता हैं।
डा. जे. के. गर्ग