dr. j k gargरक्षा बंधन —जन चेतना सामाजिक सद्दभाव और सामाजिक क्रांति का माध्यम समाज में व्याप्त नारी की असहजता एवं असुरक्षा को देखते हुए क्या यह तर्क संगत नहीं होगा कि राखी के पावन उत्सव पर बहन जब अपने भाई की कलाई पर राखी बांधे तो वह अपने भाई से यह शपथ और वचन लेकर राखी बांधे कि“भैया,जैसे आप मुझे पवित्र और स्नेहपूर्ण दृष्टि से देखते हैं एवं मेरी रक्षा का संकल्प लेते हैं वैसे ही आप इस राखी को मुझ से बंधवाते समय अपने मन में और मुझसे यह प्रतिज्ञा करो कि आप केवल मेरी ही नहीं किन्तु भारत की प्रत्येक नारी एवं युवती को बहन की तरह निर्मल,पवित्र और स्नेह पूर्णदृष्टि से ही देखोगे तथा हर माता व बहन की लाज एवं अस्मिता की रक्षा भी करोगे।“जब हर बहन अपने भाई से ऐसी ही प्रतिज्ञा करवायेगी तो अवश्य ही वो समय धीमें धीमें ही सही किन्तु आयेगा जरुर जब देश की हर माता-बहनें एवं बेटियां सुरक्षित रहेगीं जिसके फलस्वरूप भविष्य में अपहरण,यौनाचार एवं युवतियों से अमानवीय व्यवाहर की ह्रदय विदारक दुखद घटनायें घटित नहीं
होंगी ।