अपनी ग़लतियों को कैसे सुधारें ?
बात उन दिनों की है जब बंगाल कलकत्ता में हिन्दू – मुस्लिम दंगे भड़के हुए थे। ऐसी स्थिति में गाँधी जी वहां पहुंचे और एक मुस्लिम मित्र के यहाँ ठहरे। उनके पहुचने से दंगा कुछ शांत हुआ लेकिन कुछ ही दोनों में फिर से आग भड़क उठी। तब गाँधी जी ने आमरण अनशन करने का निर्णय लिया और 31 अगस्त 1947 को अनशन पर बैठ गए। इसी दौरान एक दिन एक अधेड़ उम्र का आदमी उनके पास पहुंचा और बापूजी से बोला” मैं तुम्हारी मृत्यु का पाप अपने सर पर नहीं लेना चाहता, लो रोटी खा लो।” और फिर अचानक ही वह रोने लगा, ”मैं मरूँगा तो नर्क जाऊँगा!”“क्यों ?”, गाँधीजी ने शालीनता से पूछा। उस आदमी ने कहा ”क्योंकि मैंने एक आठ साल के मुस्लिम लड़के की जान ले ली।” ”तुमने उसे क्यों मारा ?”, गाँधीजी ने पूछा। ”क्योंकि उन्होंने मेरे मासूम बच्चे को जान से मार दिया।” आदमी रोते हुए बोला। गाँधी जी ने कुछ देर सोचा और फिर बोले,” मेरे पास एक उपाय है।” आदमी आश्चर्य से उनकी तरफदेखने लगा। ”उसी उम्र का एक लड़का खोजो जिसने दंगों में अपने माता-पिता खो दिएहों, और उसे अपने बच्चे की तरह पालो, लेकिन एक चीज सुनिश्चित कर लो कि वह एक मुस्लिम होना चाहिए और उसी तरह बड़ा किया जानाचाहिए।” गाँधी जी ने अपनी बात ख़तमकी।
डा. जे. के. गर्ग