तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा Part 2

dr. j k garg
सुभाष बाबू ने कहा था “याद रखिए सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है |नेताजी कहा करते थे कि एक सैनिक के रूप में उनको आपको हमेशा सच्चाई, कर्तव्य और बलिदान जेसे तीन आदर्शों को संजोने और उन पर जीना होगा |

आजाद हिन्द फोज के प्रे नेता क्रांतिकारी जन नायक सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को कटक में हुआ था | उनके पिता जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था | उन्होंने कलकत्ता यूनिवर्सिटी से 1919 में बीए की परीक्षा प्रथम श्रेणी से पास की थी |1920 की आईसीएस परीक्षा में उन्होंने चौथा स्थान पाया मगर सुभाष का मन अंग्रेजों के अधीन काम करने का नहीं था इसलिये उन्होंने ICS से एक साल के भीतर 22 अप्रैल 1921 को त्यागपत्र दे दिया क्योंकि उनके दिल अगेजों की गुलामी और भारत माता का आजाद करने का जनून था | गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर की सलाह के अनुसार भारत वापस आने पर वे सर्वप्रथम मुम्बई गये और महात्मा गांधी से मिले। वहाँ 20 जुलाई 1921 को गाँधी जी और सुभाष के बीच पहली मुलाकात हुई। बहुत जल्द ही सुभाष देश के एक महत्वपूर्ण युवा नेता बन गये। जवाहरलाल नेहरू के साथ सुभाष ने कांग्रेस के अन्तर्गत युवकों की इण्डिपेण्डेंस लीग शुरू की। 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तब कांग्रेस ने उसे काले झण्डे दिखाये। कोलकाता में सुभाष ने इस आन्दोलन का नेतृत्व किया। साइमन कमीशन को जवाब देने के लिये कांग्रेस ने भारत का भावी संविधान बनाने का काम आठ सदस्यीय आयोग को सौंपा। मोतीलाल नेहरू इस आयोग के अध्यक्ष और सुभाष उसके एक सदस्य थे। 1930 में जब कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में हुआ तब ऐसा तय किया गया कि 26 जनवरी का दिन स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जायेगा।

प्रस्तुतिकरण डा. जे. के. गर्ग

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