तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूँगा Part 5

dr. j k garg
6 जुलाई 1944 को उन्होंने रंगून रेडियो स्टेशन से महात्मा गांधी के नाम एक प्रसारण जारी किया जिसमें उन्होंने इस निर्णायक युद्ध में विजय के लिये उनका आशीर्वाद और शुभकामनायें माँगीं | इस भाषण के दौरान नेताजी ने गान्धीजी को राष्ट्रपिता कहा तभी गांधीजी ने भी उन्हे नेताजी कहा, तभी से उन्हें नेताजी कहा जानें लगा

23 अगस्त 1945 को टोक्यो रेडियो ने बताया कि सैगोन में नेताजी एक बड़े बमवर्षक विमान से आ रहे थे कि 18 अगस्त को ताइहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में उनके साथ सवार जापानी जनरल शोदेई, पाइलेट तथा कुछ अन्य लोग मारे गये। नेताजी गंभीर रूप से जल गये थे। उन्हें ताइहोकू सैनिक अस्पताल ले जाया गया जहाँ उन्होंने दम तोड़ दिया। सितम्बर के मध्य में उनकी अस्थियाँ संचित करके जापान की

राजधानी टोकियो के रैंकोजी मन्दिर में रख दी गयीं भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार से प्राप्त दस्तावेज़ के अनुसार नेताजी की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइहोकू के सैनिक अस्पताल में रात्रि ग्यारह बजे हुई थी। आजाद हिन्द फौज के माध्यम से भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद करने का नेताजी का प्रयास प्रत्यक्ष रूप में सफल नहीं हो सका किन्तु उसका दूरगामी परिणाम हुआ। सन् 1946 के नौसेना विद्रोह इसका उदाहरण है। नौसेना विद्रोह के बाद ही ब्रिटेन को विश्वास हो गया कि अब भारतीय सेना के बल पर भारत में शासन नहीं किया जा सकता और भारत को स्वतन्त्र करने के अलावा उनके पास कोई दूसरा विकल्प नहीं बचा।

प्रस्तुतिकरण डा. जे. के. गर्ग

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