सद्दभाव के पर्व होली को मनाने के तरीके अनेक फिर भी सन्देश एक Part 2

dr. j k garg
उत्तरांचल के कुमाऊं मंडल की होली को अपनी सांस्कृतिक विशेषता के लिए कुमाऊंनी होली के रूप में जाना जाता है | फूलों के रंगों और संगीत की तानों का ये अनोखा संगम देखने लायक होता है | हरियाणा में होली धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है।

गोवा— शिमगो में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है |

पंजाब– सिक्खों के पवित्र धर्मस्थान श्री अनन्दपुर साहिब मे होली के अगले दिन से लगने वाले मेले को होला मोहल्ला कहते है | कहा जाता है कि गुरु गोबिन्द सिंहजी ने स्वयं इस मेले की शुरुआत की थी। होला महल्ला का उत्सव आनंदपुर साहिब में 6 दिन तक चलता है |

दक्षिण गुजरात के आदिवासि भील जाति के लोग होली को गोलगधेड़ों के नाम से मनाते हैं। इसमें किसी बांस या पेड़ नारियल और गुड़ बांध दिया जाता है उसके चारों और युवतियां घेरा बनाकर नाचती हैं। युवक को इस घेरे को तोड़कर गुड़,नारियल प्राप्त करना होता है। इस प्रक्रिया में युवतियां उस पर जबरदस्त प्रहार करती हैं। यदि वह इसमें कामयाब हो जाता है तो जिस युवती पर वह गुलाल लगाता है वह उससे विवाह करने के लिए बाध्य हो जाती है।

Dr J.K. Garg

error: Content is protected !!