बम्बई विश्वविद्यालय के प्रथम दलित छात्र होने का गोरव प्राप्त करने वाले बाबासाहिब ने जीवन पर्यन्त महिलाओं के लिये व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों की वकालत की और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिये सिविल सेवाओं,स्कूलों, कॉलेजों की नौकरियों में आरक्षण प्रणाली शुरू करने के लिये संविधान सभा में समर्थन किया | 26 नवम्बर 1949 को जब संविधान सभा ने संविधान को अपना लिया, उस वक्त बाबासाहेब ने कहा था “ मैं महसूस करता हूं कि संविधान, साध्य है, यह लचीला है पर साथ ही यह इतना मजबूत भी है कि देश को शांति और युद्ध दोनों के समय जोड़ कर रख सके” आज भी बाबासाहेब को भविष्यद्रष्टा और सामाजिक समरसता के पुजारी रूप में जाना जाता | बाबा साहब ने भी अनेकों किताबें लिखी थी जिनमें “ दी अनटचेबिल “ एवं अनिहिलेष्ण प्रमुख है | इन पुस्तकों में डा.अम्बेडकर ने हिन्दूज-हिन्दू राष्ट्र, हिन्दुओं की सहिष्णुता. मुस्लिम-ईसाई मिस्बाह मिसनेरीज, वैदिक धर्म तथा ऋग्वेद की ऋचा X.86.14 को उद्धृत करते हुए आर्यों में गोमांस भक्षण के बारे मी लिखा है |
डा. जे. के. गर्ग