गणेश चतुर्थी आज

राजेन्द्र गुप्ता
प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी तिथि के ही नाम से जाना जाता है। लेकिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि का अपना विशेष महत्व है। चतुर्थी तिथि से अनन्त चतुर्दशी तक की जाने वाली गणेश पूजा का अपना एक विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में साकार ब्रह्म और निराकार ब्रह्म दोनों को पूजने की प्रथा है । विशेष रूप से सनातन धर्म के लोग साकार ब्रह्म की पूजा अर्चना करते हैं और इनमें से प्रमुख हैं गणेश की पूजा। गणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है । हम आम मानव ही नहीं अपितु देवता भी गणेश को प्रथम पूज्य के रूप में पूजते हैं।

गणेश चतुर्थी मुहूर्त:
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गणेश चतुर्थी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11.03 से दोपहर 01.33 तक रहेगा। चतुर्थी तिथि की शुरुआत 10 सितंबर को 12.18 से हो जाएगी और इसकी समाप्ति रात 09.57 बजे होगी। इस दिन वर्जित चन्द्रदर्शन का समय 09:12 से 08:53 तक रहेगा।

गणेश चतुर्थी पर नहीं देखा जाता चांद:
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मान्यता है गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करने चाहिए क्योंकि इससे कलंक लगने का खतरा रहता है। अगर भूल से चंद्रमा के दर्शन हो जाएं तब इस मंत्र का 28, 54 या 108 बार जाप करने लेना चाहिए।

चन्द्र दर्शन दोष निवारण मन्त्र:
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सिंहःप्रसेनमवधीत् , सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मा रोदीस्तव, ह्येष स्यमन्तकः।।

रुद्राष्टाध्यायी का प्रारंभ गणेश के मंत्रों से
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विघ्नहर्ता गणेश जी को अनेक नामों से जाना जाता है और सभी नामों का धर्म शास्त्रों में व्याख्या दी गयी है । भगवान गणेश की पूजा वैदिक काल से ही चली आ रही है। वेदों में गणेश भी गणेश की पूजा अर्चना बतायी गयी है यहां तक की रुद्राष्टाध्यायी का प्रारंभ भी गणेश के मंत्रों से ही होता है साथ ही पंचदेव (गणेश, सूर्य, विष्णु, शिव एवं दुर्गा) में इनका स्थान प्रमुख है। इससे यह स्पष्ट होता है कि गणेश की महिमा जितनी गायी जाय कम है।

10 दिन तक पूजा अर्चना
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प्रत्येक माह के दोनों पक्षों में चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी तिथि के ही नाम से जाना जाता है लेकिन शिव पुराण के अनुसार ऋद्धि-सिद्धि के दाता गणेश जी का जन्म भाद्रशुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को कहा गया है। महाराष्ट्र एवं आस-पास के प्रान्तों में इसे गणेश जयन्ती के रूप में मनाया जाता है और एक दिन से लेकर 10 दिनों तक इनकी पूजा अर्चना की जाती है। पारिवारिक, सामाजिक एवं आर्थिक उन्नत्ति के लिए इस त्योहार का बहुत महत्व है।

अनन्त चतुर्दशी के दिन गणेश विसर्जन
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महाराष्टा में तो घर-घर में इनकी पूजा विशेष की जाती है और गणेश जयन्ती के अवसर पर सभी अपने घरों में गणपति को बुलाते हैं और श्रद्धा के साथ पूजन करते हैं अपने सामथ्र्य एवं परम्पराओं के अनुकुल 1 दिन से लेकर 10 दिनों तक इनका पूजन किया जाता है। गणपति का पूजन सामाजिक स्तर पर भी किया जाता है जहां पंडाल आदि लगाकर इनकी पूजा अर्चना की जाती है और पंडाल में विशेष कर इनकी दस दिनों तक पूजा की जाती है और अनन्त चतुर्दशी के दिन इनका विसर्जन किया जाता है।
गणपति बप्पा मोरया अगले बरस तु जल्दी आ।… विसर्जन के समय यह उद्घोष सभी के आंखों को नम कर जाता है इससे यह प्रतीत होता है कि लोग बप्पा से कितना प्रेम करते हैं।

राजेन्द्र गुप्ता,
ज्योतिषी और हस्तरेखाविद
मो. 9611312076
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